Poems of Dharmweer Bharti,Mathili Sharan Gupt,Makahan Lal Chaturvedi,Mahadevi Verma,Shivmangal Singh

by @kaash on March 02, 2010, 11:20:51 AM
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@kaash
Guest
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कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रह के निज नाम करो।

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो!
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो।
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को।

सँभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला!
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना।
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को।।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ!
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठ के अमरत्व विधान करो।
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को।।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे।
सब जाय अभी पर मान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे।
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को।।


Mathili Sharan Gupt
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madhuwesh
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«Reply #1 on: March 02, 2010, 11:25:35 AM »
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Wonderful poem.thanks for sharing Kaash ji. Applause Applause Applause Applause Thumbs UP
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khamosh_aawaaz
Guest
«Reply #2 on: March 02, 2010, 05:30:19 PM »
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कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रह के निज नाम करो।

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो!
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो।
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को।

सँभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला!
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना।
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को।।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ!
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठ के अमरत्व विधान करो।
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को।।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे।
सब जाय अभी पर मान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे।
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को।।


Mathili Sharan Gupt


BAHUT BEHTREEN SHARING KAASH JI....SCHOOL MAIN HINDI KI YE KAVITA PADHI HAI....MATHILI SHARAN GUPT KI BAHUT ACHCHI AUR FAMOUS KAVITA HAI....MUJHEY POORI YAAD THI...THANX BOSS....!!!!
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by bushra
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«Reply #3 on: March 03, 2010, 05:54:33 AM »
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thanks wake up karne ke liye aap ki nazam bahut achchi hai. Both Thumbs Up Both Thumbs Up
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riyaz106
Guest
«Reply #4 on: March 04, 2010, 05:50:30 AM »
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Very nice sharing Kaash ji. Ye poets hamare desh ke Sahitya ke stambh hain.
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