थोड़े सयाने थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले है...

by anush on April 29, 2012, 06:12:26 AM
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anush
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आसमां है साफ़, पर सपने कुछ धुंधले हैं,
थोड़े सयाने, थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले हैं
जो देखा दिन में चाँद, उसे छूने को मचले हैं,
बहुत दिनों के बाद आज फिर, ज़िन्दगी से मिलने निकले हैं...

लगा कर सीढ़ी बादलों पर बढाया है हाथ,
बिखर गयी रौशनी ,जैसे चांदनी पिघले है
कुछ हरकते सी हैं मन के आईने पर,
सपने तो अपने हैं, लेकिन लगते बदले बदले हैं
  
मंजिल का कोई अता-पता ही नहीं
फिर भी बाँध कर सामान हम चले हैं
आएगी मिलने हमसे ज़िन्दगी इस तरह
खिल आया है चाँद  जैसे दिन ढले है

निकल आये तारे कुछ यूँ बिखरकर
जैसे हजारों दीये अंबर में जले हैं
चलने की नहीं, उड़ने की कोशिश है अब तो,
क्योंकि ज़मीं नहीं आसमां पैरों तले है

थोड़े सयाने थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले है...
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masoom shahjada
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«Reply #1 on: April 29, 2012, 06:19:35 AM »
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Beautifull ji.
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dolly
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«Reply #2 on: April 29, 2012, 06:57:30 AM »
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awwesome...anush...bahut khoob...ApplauseApplauseApplauseApplause:clap:clap::clap...
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #3 on: April 29, 2012, 07:19:45 AM »
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bahut sunder
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #4 on: April 29, 2012, 09:17:51 AM »
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 Applause
beautiful.Keep it up.
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khujli
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«Reply #5 on: April 29, 2012, 09:19:29 AM »
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आसमां है साफ़, पर सपने कुछ धुंधले हैं,
थोड़े सयाने, थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले हैं
जो देखा दिन में चाँद, उसे छूने को मचले हैं,
बहुत दिनों के बाद आज फिर, ज़िन्दगी से मिलने निकले हैं...

लगा कर सीढ़ी बादलों पर बढाया है हाथ,
बिखर गयी रौशनी ,जैसे चांदनी पिघले है
कुछ हरकते सी हैं मन के आईने पर,
सपने तो अपने हैं, लेकिन लगते बदले बदले हैं
 
मंजिल का कोई अता-पता ही नहीं
फिर भी बाँध कर सामान हम चले हैं
आएगी मिलने हमसे ज़िन्दगी इस तरह
खिल आया है चाँद  जैसे दिन ढले है

निकल आये तारे कुछ यूँ बिखरकर
जैसे हजारों दीये अंबर में जले हैं
चलने की नहीं, उड़ने की कोशिश है अब तो,
क्योंकि ज़मीं नहीं आसमां पैरों तले है

थोड़े सयाने थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले है...

Applause Applause Applause icon_flower icon_flower
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anush
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«Reply #6 on: April 30, 2012, 11:51:50 AM »
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shukriya Masoom Shahjada ji Usual Smile
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anush
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«Reply #7 on: April 30, 2012, 11:52:23 AM »
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thanks Dolly ji Usual Smile

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anush
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«Reply #8 on: April 30, 2012, 11:54:23 AM »
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dhanyavaad sksaini ji Usual Smile
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anush
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«Reply #9 on: April 30, 2012, 11:56:27 AM »
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Thanks Siddique ji Usual Smile
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anush
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«Reply #10 on: April 30, 2012, 11:57:38 AM »
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Shukriya qalb ji Usual Smile
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amit_prakash_meet
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«Reply #11 on: April 30, 2012, 12:07:10 PM »
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khoob kaha Anush Ji Applause Applause Applause Applause
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~Hriday~
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #12 on: April 30, 2012, 06:05:23 PM »
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Applause Applause Applause Applause Applause  bahut bahut khoob likha hai aapne Anush ji....!!!
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sbechain
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«Reply #13 on: April 30, 2012, 06:38:20 PM »
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आसमां है साफ़, पर सपने कुछ धुंधले हैं,
थोड़े सयाने, थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले हैं
जो देखा दिन में चाँद, उसे छूने को मचले हैं,
बहुत दिनों के बाद आज फिर, ज़िन्दगी से मिलने निकले हैं...

लगा कर सीढ़ी बादलों पर बढाया है हाथ,
बिखर गयी रौशनी ,जैसे चांदनी पिघले है
कुछ हरकते सी हैं मन के आईने पर,
सपने तो अपने हैं, लेकिन लगते बदले बदले हैं
  
मंजिल का कोई अता-पता ही नहीं
फिर भी बाँध कर सामान हम चले हैं
आएगी मिलने हमसे ज़िन्दगी इस तरह
खिल आया है चाँद  जैसे दिन ढले है

निकल आये तारे कुछ यूँ बिखरकर
जैसे हजारों दीये अंबर में जले हैं
चलने की नहीं, उड़ने की कोशिश है अब तो,
क्योंकि ज़मीं नहीं आसमां पैरों तले है

थोड़े सयाने थोड़े दीवाने, हम थोड़े पगले है...

bahut bahut khoob............!
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