Maa

by suman59 on January 21, 2013, 08:16:37 AM
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suman59
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Yeh kavita mere dil ko hila diya.

क्या शीर्षक दूं! एक वृद्धा औरत की जिन्दगी की जी हुई सचाई को , नहीं जानती..........

पिता की मृत्यु के बाद आया बेटा विदेश से और बोला माँ से साधिकार
" नहीं रहोगी अकेले तुम अब यहाँ । तुम अब मेर साथ चलोगी "
आँखों मे आशिशो के आँसू भर कर माँ ने सर पर हाथ रखा और कहा
" मै कहाँ जाऊंगी बेटा इस घर का क्या होगा ? जिसे मैने तुम्हारे पिता के साथ बनाया है । "
बेटे ने कहा
" माँ अब इस मकान को रख कर हमे क्या करना है ? बेच दूँगा मै इसे
सब कागज तैयार है तुमको बस दस्तखत करने है मेरे रहते क्यो परेशान हों तुम ? "
वर्षो से जिनके साथ रही हूँ एक बार उन पड़ोसियो से भी राय लेलू ये सोच कर पड़ोस मे गयी माँ
बोले पड़ोसी
" आप तो तकदीर वाली हों आज कल तो बच्चे पूछते नहीं है जाओ कुछ बेटे का भी सुख उठाओ वेसे तकलीफ तो
हम यहाँ भी नहीं होने देते सालो के सुख दुःख साथ निभाये है बाक़ी साल भी निभाते पर आप जाओ राय यही है हमारी "
माँ के घर को अपना मकान कह कर बेचा बेटे ने और पुत्र धर्म का पालन करते हुये
माँ का टिकट बनवाया और अपने साथ ले गया
कुछ १२ घंटो बाद
पड़ोसी के घर पर फ़ोन की घंटी बजी एअरपोर्ट से पुलिस का फ़ोन था
एक वृद्धा पिछले १२ घंटो से एअरपोर्ट के विसिटर लाउंज मे बेठी है उसके पास कोई पासपोर्ट
कोई टिकट और पैसा नहीं है उसका नाम किसी फ्लाईट मे भी नहीं है ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रही है
अपने बेटे का जो नाम बता रही है वह सिंगापूर एयरलाइंस से ९ घंटे पहले जा चूका है
उसमे भी इनका कोई नाम नहीं था आप का फ़ोन नंबर भी बड़ी मुश्किल से बताया है
तुरंत जाकर पड़ोसी उन्हे घर ले आये और

पिछले दो साल से अपने बिके हुए घर के पड़ोस मे बेबसी के आसुओ के साथ रह रही है एक माँ
और पड़ोसी अपना धरम निभा रहें हें

सांत्वना देने आयी दूसरी माँ ने कहा मेरी बेटी ने मेरी फ डी अपने खाते
मे जमा कर ली और पूछने पर कहा
" मर जाओगी तो भी तो मुझे ही मिलगा "

बच्चे तरक्की करते जा रहें हें पहले माँ बाप को हरिद्वार मे भूल जाते थे
अब एअरपोर्ट पर भूल जाते है
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prashad
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«Reply #1 on: January 21, 2013, 08:54:12 AM »
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bari sanvedansheel aur marmik katha hai, aanevale samay mein shayad yahi ho kyonki hum western culture ko apna rahe hain jaha parivar ka koi mahatav nahi hota, parents ko old age mein bhejna vahan ki sanskriti hai. Lekin apne desh mein abhi bhi humare sanskar isski ijajat nahi dete kyonki hum rishto ki ahmiyat samajhte hain. Ek achhe aur jordar vishay ko uthane ke liye dhero badhai suman ji.
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azad mishra
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«Reply #2 on: January 21, 2013, 10:53:41 AM »
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bahoot hi marmik aur hrday ko chuu lene wali kahani kahi apne sach me ajkal ki dunia me sare ristey paise ke samne boune ho gye hai very very nice
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haan
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«Reply #3 on: January 21, 2013, 11:11:53 AM »
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ISS HIKAYAT  MAIN EK IBRAT HAI ,HAQIQATAN  YAHI AAINA  HAI JISME SAMAAJ  APNA CHEHRA  DEKH KAR DAR  JAATA HAI .....MAGAR ISS AAINE  KI TASVEER  BADALNE  KO  PURI TARAH TAYYAR NAHI HAI..SIRF  BAAT CHEET KA YA WAQT GUZAARI KE LIYE HI YE TOPIC MAUZU BANTA HAI... AUR BAAD MAIN PHIR.........
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MANOJ6568
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«Reply #4 on: January 21, 2013, 06:23:50 PM »
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Yeh kavita mere dil ko hila diya.

क्या शीर्षक दूं! एक वृद्धा औरत की जिन्दगी की जी हुई सचाई को , नहीं जानती..........

पिता की मृत्यु के बाद आया बेटा विदेश से और बोला माँ से साधिकार
" नहीं रहोगी अकेले तुम अब यहाँ । तुम अब मेर साथ चलोगी "
आँखों मे आशिशो के आँसू भर कर माँ ने सर पर हाथ रखा और कहा
" मै कहाँ जाऊंगी बेटा इस घर का क्या होगा ? जिसे मैने तुम्हारे पिता के साथ बनाया है । "
बेटे ने कहा
" माँ अब इस मकान को रख कर हमे क्या करना है ? बेच दूँगा मै इसे
सब कागज तैयार है तुमको बस दस्तखत करने है मेरे रहते क्यो परेशान हों तुम ? "
वर्षो से जिनके साथ रही हूँ एक बार उन पड़ोसियो से भी राय लेलू ये सोच कर पड़ोस मे गयी माँ
बोले पड़ोसी
" आप तो तकदीर वाली हों आज कल तो बच्चे पूछते नहीं है जाओ कुछ बेटे का भी सुख उठाओ वेसे तकलीफ तो
हम यहाँ भी नहीं होने देते सालो के सुख दुःख साथ निभाये है बाक़ी साल भी निभाते पर आप जाओ राय यही है हमारी "
माँ के घर को अपना मकान कह कर बेचा बेटे ने और पुत्र धर्म का पालन करते हुये
माँ का टिकट बनवाया और अपने साथ ले गया
कुछ १२ घंटो बाद
पड़ोसी के घर पर फ़ोन की घंटी बजी एअरपोर्ट से पुलिस का फ़ोन था
एक वृद्धा पिछले १२ घंटो से एअरपोर्ट के विसिटर लाउंज मे बेठी है उसके पास कोई पासपोर्ट
कोई टिकट और पैसा नहीं है उसका नाम किसी फ्लाईट मे भी नहीं है ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रही है
अपने बेटे का जो नाम बता रही है वह सिंगापूर एयरलाइंस से ९ घंटे पहले जा चूका है
उसमे भी इनका कोई नाम नहीं था आप का फ़ोन नंबर भी बड़ी मुश्किल से बताया है
तुरंत जाकर पड़ोसी उन्हे घर ले आये और

पिछले दो साल से अपने बिके हुए घर के पड़ोस मे बेबसी के आसुओ के साथ रह रही है एक माँ
और पड़ोसी अपना धरम निभा रहें हें

सांत्वना देने आयी दूसरी माँ ने कहा मेरी बेटी ने मेरी फ डी अपने खाते
मे जमा कर ली और पूछने पर कहा
" मर जाओगी तो भी तो मुझे ही मिलगा "

बच्चे तरक्की करते जा रहें हें पहले माँ बाप को हरिद्वार मे भूल जाते थे
अब एअरपोर्ट पर भूल जाते है

dil bhar aaya
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Aru1992
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«Reply #5 on: January 24, 2013, 06:16:35 AM »
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 tearyeyed
wow bhut khub likha... Realy nice
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