इश्क जज्बात की खलिस है...

by Bishwajeet Anand Bsu on March 07, 2013, 01:42:15 PM
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Bishwajeet Anand Bsu
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इश्क जज्बात की खलिस है कदों की नहीं ..
इश्क हद से गुज़रना है कद्र हदों की नहीं ..
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...
वो उडाते हैं हर बरस एक झुण्ड परिन्दे ..
रंजिशे जो मिटानी है दिल के झरोखे खोल परिन्दों की नहीं ..
इस सराफ़त को कहीं तुम मजबूरी न समझ लेना ..
नरमी सराफ़त की देखी है गर्मी जिदो की नहीं ...
इन सियासतगर्दों से कोई उम्मीद मत रखना ..
जुबां इंसानों की होती है मुरदों की नहीं ...
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...
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khujli
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«Reply #1 on: March 07, 2013, 01:46:52 PM »
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इश्क जज्बातों की खालिस है कदों की नहीं ..
इश्क हद से गुज़रना है कद्र हदों की नहीं ..
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...
वो उडाते हैं हर बरस एक झुण्ड परिन्दे ..
रंजिशे जो मिटानी है दिल के झरोखे खोल परिन्दों की नहीं ..
इस सराफ़त को कहीं तुम मजबूरी न समझ लेना ..
नरमी सराफ़त की देखी है गर्मी जिदो की नहीं ...
इन सियासतगर्दों से कोई उम्मीद मत रखना ..
जुबां इंसानों की होती है मुरदों की नहीं ...
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...

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sksaini4
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«Reply #2 on: March 07, 2013, 01:55:16 PM »
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 icon_flower icon_flower icon_flower jazbaat khud men jazbe kaa plural hai to jazbaaton kahnaa ghalat hai
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Bishwajeet Anand Bsu
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«Reply #3 on: March 07, 2013, 01:57:52 PM »
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Bahut bahut dhanyawad sir ki aapne margdarshan kiya...mai ise abhi sudhar deta hu...
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #4 on: March 07, 2013, 02:16:10 PM »
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aqsh
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«Reply #5 on: March 07, 2013, 02:26:37 PM »
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Bahut khoob....
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suman59
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«Reply #6 on: March 07, 2013, 02:45:16 PM »
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इश्क जज्बात की खालिस है कदों की नहीं ..
इश्क हद से गुज़रना है कद्र हदों की नहीं ..
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...
वो उडाते हैं हर बरस एक झुण्ड परिन्दे ..
रंजिशे जो मिटानी है दिल के झरोखे खोल परिन्दों की नहीं ..
इस सराफ़त को कहीं तुम मजबूरी न समझ लेना ..
नरमी सराफ़त की देखी है गर्मी जिदो की नहीं ...
इन सियासतगर्दों से कोई उम्मीद मत रखना ..
जुबां इंसानों की होती है मुरदों की नहीं ...
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...

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RAJAN KONDAL
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«Reply #7 on: March 07, 2013, 11:09:39 PM »
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bhut khub ji
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adil bechain
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«Reply #8 on: March 07, 2013, 11:52:41 PM »
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इश्क जज्बात की खलिस है कदों की नहीं ..
इश्क हद से गुज़रना है कद्र हदों की नहीं ..
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...
वो उडाते हैं हर बरस एक झुण्ड परिन्दे ..
रंजिशे जो मिटानी है दिल के झरोखे खोल परिन्दों की नहीं ..
इस सराफ़त को कहीं तुम मजबूरी न समझ लेना ..
नरमी सराफ़त की देखी है गर्मी जिदो की नहीं ...
इन सियासतगर्दों से कोई उम्मीद मत रखना ..
जुबां इंसानों की होती है मुरदों की नहीं ...
ये सियासी चाल हमें मोहरा बना देगी ..
हमें सियासतगर्दों ने बाँटा हैं सरहदों ने नहीं ...


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nandbahu
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«Reply #9 on: March 08, 2013, 08:30:11 AM »
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bahut khoob
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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