जरुरी तेरा होना है, और कुछ नहीं

by raajaindra on March 16, 2012, 02:23:29 PM
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raajaindra
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तेरे आने से यूँ ही आ जाती है मौसम में रंगत
क्या  ज़रूरी  है  कि, गुल  भी  हो, गुलिस्ताँ  भी  हो, और  बहार  भी  हो

तेरी  अलसाई  सी  आँखों  के  हुस्न से यूँ  ही  बेकाबू  है नीयत अपनी
क्या  ज़रूरी  है  कि, अंगड़ाई भी हो, रोशनी मद्धम भी  हो, और  खुले तेरे बाल भी हो

अब  के  खायी  जो  चोट  इस  दिल  पर  तो, दुनिया  से  किनारा  कर  लेंगे
क्या ज़रूरी  है  कि, कफ़न  भी  हो, मातम  भी  हो, और मजमा-ए-यार  भी  हो
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sksaini4
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«Reply #1 on: March 16, 2012, 04:07:01 PM »
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bahut sunder
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raajaindra
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«Reply #2 on: March 17, 2012, 05:43:35 PM »
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thanks

 icon_salut
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mkv
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«Reply #3 on: March 18, 2012, 03:23:08 AM »
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Bahut khoob raaj ji

Applause
daad dete hai aapki himmat ko.. abhhi bhi himmat baaki hai..

3rd one...  Clapping Smiley Giggle Giggle
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raajaindra
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«Reply #4 on: March 19, 2012, 12:24:57 PM »
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shukria MKV Ji

Par mai samjha nahi... Himmat Matlab?

aur Gigling icon ( Giggle Giggle) ka matlab bhi nahi samja?
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sbechain
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«Reply #5 on: March 19, 2012, 12:36:35 PM »
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तेरे आने से यूँ ही आ जाती है मौसम में रंगत
क्या  ज़रूरी  है  कि, गुल  भी  हो, गुलिस्ताँ  भी  हो, और  बहार  भी  हो

तेरी  अलसाई  सी  आँखों  के  हुस्न से यूँ  ही  बेकाबू  है नीयत अपनी
क्या  ज़रूरी  है  कि, अंगड़ाई भी हो, रोशनी मद्धम भी  हो, और  खुले तेरे बाल भी हो

अब  के  खायी  जो  चोट  इस  दिल  पर  तो, दुनिया  से  किनारा  कर  लेंगे
क्या ज़रूरी  है  कि, कफ़न  भी  हो, मातम  भी  हो, और मजमा-ए-यार  भी  हो

bahut khoob..........!
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Dil Shah
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«Reply #6 on: March 19, 2012, 12:37:58 PM »
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तेरे आने से यूँ ही आ जाती है मौसम में रंगत
क्या  ज़रूरी  है  कि, गुल  भी  हो, गुलिस्ताँ  भी  हो, और  बहार  भी  हो

तेरी  अलसाई  सी  आँखों  के  हुस्न से यूँ  ही  बेकाबू  है नीयत अपनी
क्या  ज़रूरी  है  कि, अंगड़ाई भी हो, रोशनी मद्धम भी  हो, और  खुले तेरे बाल भी हो

अब  के  खायी  जो  चोट  इस  दिल  पर  तो, दुनिया  से  किनारा  कर  लेंगे
क्या ज़रूरी  है  कि, कफ़न  भी  हो, मातम  भी  हो, और मजमा-ए-यार  भी  हो
wah bahooot khooob ....,,,,,
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