मां !!

by Ishq007 on May 12, 2014, 04:51:50 AM
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Ishq007
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मै आप सब लोग से Request करता हूँ कि आप लोग ये कविता जरूर पढ़े , हम सब अपनी माँ से बहुत प्यार करते है पर उसको जाहिर नहीं करते, plz... अगर अपनी माँ से प्यार करते हो तो उन्हें दिखाया भी करो की आप कितना उनसे प्यार करते हो !


किसी की खातिर अल्‍ला होगा किसी की खातिर राम...
लेकिन अपनी खातिर तो है मां ही चारों धाम...

जब आंख खुली तो अम्‍मा की गोदी का एक सहारा था...
उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको भूमण्‍डल से प्‍यारा था...

उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था...
उसके स्‍तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता था...

हाथों से बालों को नोंचा पैरों से खूब प्रहार किया...
फिर भी उस मां ने पुचकारा हमको जी भर के प्‍यार किया...

मैं उसका राजा बेटा था वो आंख का तारा कहती थी...
मैं बनूं बुढापे में उसका बस एक सहारा कहती थी...

उंगली को पकड. चलाया था पढने विद्यालय भेजा था...
मेरी नादानी को भी निज अन्‍तर में सदा सहेजा था...

मेरे सारे प्रश्‍नों का वो फौरन जवाब बन जाती थी...
मेरी राहों के कांटे चुन वो खुद गुलाब बन जाती थी...

मैं बडा हुआ तो कॉलेज से इक रोग प्‍यार का ले आया...
जिस दिल में मां की मूरत थी वो रामकली को दे आया...

शादी की पति से बाप बना अपने रिश्‍तों में झूल गया...
अब करवाचौथ मनाता हूं मां की ममता को भूल गया...

हम भूल गये उसकी ममता मेरे जीवन की थाती थी...
हम भूल गये अपना जीवन वो अमृत वाली छाती थी...

हम भूल गये वो खुद भूखी रह करके हमें खिलाती थी...
हमको सूखा बिस्‍तर देकर खुद गीले में सो जाती थी...

हम भूल गये उसने ही होठों को भाषा सिखलायी थी...
मेरी नीदों के लिए रात भर उसने लोरी गायी थी...

हम भूल गये हर गलती पर उसने डांटा समझाया था...
बच जाउं बुरी नजर से काला टीका सदा लगाया था...

हम बडे हुए तो ममता वाले सारे बन्‍धन तोड. आए...
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए मां को वृद्धाश्रम छोड आए...

उसके सपनों का महल गिरा कर कंकर-कंकर बीन लिए...
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के आभूषण तक छीन लिए...

हम मां को घर के बंटवारे की अभिलाषा तक ले आए...
उसको पावन मंदिर से गाली की भाषा तक ले आए...

मां की ममता को देख मौत भी आगे से हट जाती है...
गर मां अपमानित होती धरती की छाती फट जाती है....

घर को पूरा जीवन देकर बेचारी मां क्‍या पाती है...
रूखा सूखा खा लेती है पानी पीकर सो जाती है....

जो मां जैसी देवी घर के मंदिर में नहीं रख सकते हैं...
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें इंसान नहीं बन सकते हैं...

मां जिसको भी जल दे दे वो पौधा संदल बन जाता है...
मां के चरणों को छूकर पानी गंगाजल बन जाता है...

मां के आंचल ने युगों-युगों से भगवानों को पाला है...
मां के चरणों में जन्‍नत है गिरिजाघर और शिवाला है...

हिमगिरि जैसी उंचाई है सागर जैसी गहराई है...
दुनियां में जितनी खुशबू है मां के आंचल से आई है...

मां कबिरा की साखी जैसी मां तुलसी की चौपाई है...
मीराबाई की पदावली खुसरो की अमर रूबाई है...

मां आंगन की तुलसी जैसी पावन बरगद की छाया है...
मां वेद ऋचाओं की गरिमा मां महाकाव्‍य की काया है...

मां मानसरोवर ममता का मां गोमुख की उंचाई है...
मां परिवारों का संगम है मां रिश्‍तों की गहराई है...

मां हरी दूब है धरती की मां केसर वाली क्‍यारी है...
मां की उपमा केवल मां है मां हर घर की फुलवारी है...

सातों सुर नर्तन करते जब कोई मां लोरी गाती है...
मां जिस रोटी को छू लेती है वो प्रसाद बन जाती है...

मां हंसती है तो धरती का ज़र्रा-ज़र्रा मुस्‍काता है...
देखो तो दूर क्षितिज अंबर धरती को शीश झुकाता है...

माना मेरे घर की दीवारों में चन्‍दा सी मूरत है...
पर मेरे मन के मंदिर में बस केवल मां की मूरत है...

मां सरस्‍वती लक्ष्‍मी दुर्गा अनुसूया मरियम सीता है...
मां पावनता में रामचरित मानस है भगवत गीता है...

अम्‍मा तेरी हर बात मुझे वरदान से बढकर लगती है...
हे मां तेरी सूरत मुझको भगवान से बढकर लगती है...

सारे तीरथ के पुण्‍य जहां मैं उन चरणों में लेटा हूं...
जिनके कोई सन्‍तान नहीं मैं उन मांओं का बेटा हूं...

हर घर में मां की पूजा हो ऐसा संकल्‍प उठाता हूं...
मैं दुनियां की हर मां के चरणों में ये शीश झुकाता हूं !!

डॉ सुनील कुमार जोगी
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surindarn
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«Reply #1 on: May 12, 2014, 08:32:37 AM »
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wah Sunil Jee Bahut Umdah. Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
Surindar.N  Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: May 12, 2014, 10:14:20 AM »
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Bahut umda.!!
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«Reply #3 on: May 12, 2014, 01:00:33 PM »
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amit_prakash_meet
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«Reply #4 on: May 12, 2014, 02:40:29 PM »
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सुनील जी....

 notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy notworthy

बहुत बहुत बहुत खूब.....काश जन जन तक ये बात पहुंचे और हर शख्स माँ के दूध का क़र्ज़ न भूले....
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«Reply #5 on: May 12, 2014, 03:17:51 PM »
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Maa to Anmol hai.
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