Aaj phir mujhko mara gaya hai

by cifar on December 29, 2012, 01:49:51 PM
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cifar
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आज फिर मुझको मारा गया है,
आज फिर में क़त्ल हो गया हूँ।

चाहतें तो तेरी मुझको मिली न,
पाने में नफरत सफल हो गया हूँ।

हस्ता था में ज़माने पे अक्सर,की मोहब्बत ये क्या चीज़ होगी,
अब ये दुनिया कहकहे है लगाये,कुछ ऐसा पागल हो गया हूँ।

इबादत की उनकी शिकायत सुबह-शाम करता रहा में,
की ख़ुद उनकी परस्तिश में अब मशगूल हो गया हूँ।

क्या तमन्ना थी मेरी बताओ,एक नज़र प्यार की चाहता था,
ये फिर हंगामा क्यूँ इस कदर है,क्यूँ मै कांटा-ए-दिल हो गया हूँ।

गुनगुनाओ जो हर पल नज़म हूँ,ऐसी तो किस्मत नहीं थी,
जो लबों पे न आयी कभी ही,वो अधूरी ग़ज़ल हो गया हूँ।

इतना करना मरने पे मेरे,दो आंसू बहाना कब्र पर,
ऐसा तडपा हूँ जीते जी 'सिफर' मै,सुखा जंगल ही हो गया हूँ।

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suman59
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«Reply #1 on: December 29, 2012, 01:53:09 PM »
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आज फिर मुझको मारा गया है,
आज फिर में क़त्ल हो गया हूँ।

चाहतें तो तेरी मुझको मिली न,
पाने में नफरत सफल हो गया हूँ।

हस्ता था में ज़माने पे अक्सर,की मोहब्बत ये क्या चीज़ होगी,
अब ये दुनिया कहकहे है लगाये,कुछ ऐसा पागल हो गया हूँ।

इबादत की उनकी शिकायत सुबह-शाम करता रहा में,
की ख़ुद उनकी परस्तिश में अब मशगूल हो गया हूँ।

क्या तमन्ना थी मेरी बताओ,एक नज़र प्यार की चाहता था,
ये फिर हंगामा क्यूँ इस कदर है,क्यूँ मै कांटा-ए-दिल हो गया हूँ।

गुनगुनाओ जो हर पल नज़म हूँ,ऐसी तो किस्मत नहीं थी,
जो लबों पे न आयी कभी ही,वो अधूरी ग़ज़ल हो गया हूँ।

इतना करना मरने पे मेरे,दो आंसू बहाना कब्र पर,
ऐसा तडपा हूँ जीते जी 'सिफर' मै,सुखा जंगल ही हो गया हूँ।

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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #2 on: December 29, 2012, 02:53:36 PM »
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Applause Applause Applause Applause Applause Applause  bahut sundar , bahut bahut khoob likha hai aapne cifar ji...  bahut bahut badhaaiyaan aapko YO pe aapke pehle post ke liye.. aate rahiye ,... likhte rahiye....!!!
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nandbahu
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«Reply #3 on: December 30, 2012, 01:24:41 AM »
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bahut khoob
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prashad
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«Reply #4 on: December 30, 2012, 02:43:09 AM »
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wah
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aqsh
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«Reply #5 on: December 30, 2012, 01:58:04 PM »
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waah waah waah
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