क्या मुनासिब है?............'udas'

by sanjayudas on November 18, 2012, 09:31:19 AM
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sanjayudas
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कहो क्या मुनासिब है?
मिग़्ज़ाँ-ए-ग़मज़दा का तर-ब-तर रहना,
या अश्क़ोँ का मुझ ही मेँ ज़ब्त रहना,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ अपना दुख कहके रुसवा कर दूँ,
या मुस्करा करके उसे ख़ुदा कह दूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ भूल जाने की जुगत मेँ उलझा रहूँ,
या गहरे धुंधलकोँ मेँ उसे ढ़ूँढ़ता रहूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
बे-तअम्मुल इक मुलाक़ात की आरज़ू रक्खूँ,
कि क़ायम उसकी चौखट पे जुस्तज़ू रक्खूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ उसकी याद का कँटीला दामन छोड़ूँ,
या याद कर-करके उसे किश्तोँ मेँ दम तोड़ूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
मंदिर-ओ-मस्ज़िद मैँ जाकरके दुआ माँगूं,
या उस लड़की के लिये बहुत सी क़ज़ा माँगूं,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ पन्ने भरूँ उसके दिये दुखोँ के अफ़सानोँ से,
या शायरी लिक्खूँ उसकी नफ़ासत के खजानोँ पे,
कहो क्या मुनासिब है?
अपने अरमानोँ का खुद ही गला घोँट दूँ,
या ये बयाँ लिखती कलम को तोड़ दूँ,
चुप किसलिये हो?
बताओ ना......
मुझे.....क्या मुनासिब है?
(मिग़्ज़ाँ = eyelids;
बे-तअम्मुल = unexpected;
नफ़ासत = beauty)
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khujli
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«Reply #1 on: November 18, 2012, 10:58:07 AM »
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कहो क्या मुनासिब है?
मिग़्ज़ाँ-ए-ग़मज़दा का तर-ब-तर रहना,
या अश्क़ोँ का मुझ ही मेँ ज़ब्त रहना,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ अपना दुख कहके रुसवा कर दूँ,
या मुस्करा करके उसे ख़ुदा कह दूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ भूल जाने की जुगत मेँ उलझा रहूँ,
या गहरे धुंधलकोँ मेँ उसे ढ़ूँढ़ता रहूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
बे-तअम्मुल इक मुलाक़ात की आरज़ू रक्खूँ,
कि क़ायम उसकी चौखट पे जुस्तज़ू रक्खूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ उसकी याद का कँटीला दामन छोड़ूँ,
या याद कर-करके उसे किश्तोँ मेँ दम तोड़ूँ,
कहो क्या मुनासिब है?
मंदिर-ओ-मस्ज़िद मैँ जाकरके दुआ माँगूं,
या उस लड़की के लिये बहुत सी क़ज़ा माँगूं,
कहो क्या मुनासिब है?
मैँ पन्ने भरूँ उसके दिये दुखोँ के अफ़सानोँ से,
या शायरी लिक्खूँ उसकी नफ़ासत के खजानोँ पे,
कहो क्या मुनासिब है?
अपने अरमानोँ का खुद ही गला घोँट दूँ,
या ये बयाँ लिखती कलम को तोड़ दूँ,
चुप किसलिये हो?
बताओ ना......
मुझे.....क्या मुनासिब है?
(मिग़्ज़ाँ = eyelids;
बे-तअम्मुल = unexpected;
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suman59
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«Reply #2 on: November 18, 2012, 11:31:10 AM »
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bahut khoob sanjay udas jee
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Kaushal Sharma
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«Reply #3 on: November 18, 2012, 03:12:42 PM »
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Bahut Khoob Behad Shandaar Cration Sanjay Ji...
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Monu.verma
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«Reply #4 on: November 18, 2012, 03:20:04 PM »
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Bhai jabardast likha he...
Behtreen ...
Age isse bi ache vichar dimag me aye tumhare
aur hame padhne ka mauka mile...
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vimmi singh
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«Reply #5 on: November 18, 2012, 03:34:58 PM »
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bahut bahut khoooob........
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nandbahu
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«Reply #6 on: November 18, 2012, 04:09:34 PM »
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bahut khoob
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aqsh
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«Reply #7 on: November 19, 2012, 06:01:02 AM »
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very guuuuuuuud
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