अधूरा ख़्वाब 02

by sanjayudas on June 11, 2013, 05:34:31 PM
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sanjayudas
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तुमको शहनाईयोँ के शोर से फुरसत नहीँ है।
तुम मेरे दिल की आवाज़ सुन ही नहीँ सकती॥
इक मुश्त स्वप्न रोप देना नयनोँ मेँ,
और फिर रब पे छोड़कर चले जाना,
कुटिल इस प्रेम का क्या बस यही मोल,
कि कभी पास आना और कभी चले जाना,
नज़र के सामने हो मगर इतनी दूर जा बैठी हो,
लाख चीखूँ तुम तक मेरी सदा पहुंच ही नहीँ सकती॥
तुमको शहनाईयोँ के शोर से........
पहनकर बैठा हूँ मैँ तुम्हारी यादोँ का कफ़न,
तुम्हारी उम्मीद मेँ कि काश तुम लौट आओ,
सब स्वप्न के काँच चकनाचूर कर गये हो,
शायद कभी समझो कि काश तुम लौट आओ,
कितना पागल हूँ तुम तो खो गई हो सपनोँ मेँ,
मैँ तुमको छू भी जाऊँ तो ये नीँद टूट ही नहीँ सकती॥
तुमको शहनाईयोँ के शोर से.........
ज़िँदग़ी की शाख से झरते खुशी के फूल,
अब भला कहाँ तक इनको ज़मीँ से चुन पाऊँगा मैँ,
तुम न आओगी मगर वो घड़ी आयेगी,
तुम्हारा नाम लेते ज़मीँ ओढ़कर सो जाऊँगा मैँ,
कश्मकश मेँ हूँ मगर कि मौत भी आयेगी कि नहीँ,
जब तक तुम्हारी याद है ज़िँदग़ी मेरी रूठ ही नहीँ सकती॥
तुमको शहनाईयोँ के शोर से.........
चराग़ यादोँ के किये हैँ रौशन अंधेरा मन,
नहीँ फिर कब की तिश्नग़ी इसमेँ बस गई होती,
अश्क़ोँ से सीँच रहा हूँ उम्मीद की बगिया,
तुम्हारी बेरुखी से वरना कब की झुलस गई होती,
गगन का पहलू जब मिल गया अब कहाँ लौटोगी,
सितारे होँ तो टूट जायेँ चाँद तुम ज़मीँ पे उतर ही नहीँ सकती॥
तुमको शहनाईयोँ के शोर से फुरसत नहीँ है।
तुम मेरे दिल की आवाज़ सुन ही नहीँ सकती॥
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #1 on: June 11, 2013, 06:01:07 PM »
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waah
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: June 11, 2013, 06:06:41 PM »
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Atee Sundar!!
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Bhupinder Kaur
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«Reply #3 on: June 11, 2013, 06:35:32 PM »
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mkv
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«Reply #4 on: June 11, 2013, 07:13:06 PM »
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अश्क़ोँ से सीँच रहा हूँ उम्मीद की बगिया,

sabse sundar abhivyakti in panktiyon men.
 likhte rahiye
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aqsh
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«Reply #5 on: June 11, 2013, 07:55:39 PM »
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bahut khoob sanjay ji. dheron daad.
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Mohammad Touhid
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«Reply #6 on: June 12, 2013, 02:47:55 PM »
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bahut khoob.. Applause Applause
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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