अधूरा ख़्वाब 03

by sanjayudas on May 31, 2013, 04:18:08 PM
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sanjayudas
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मुझे अब भूल ही जाना!,
सुना है यादेँ जानलेवा होती है।
खोखला कर देती हैँ,
बशर को,
उसके वज़ूद को,
सब ख़्वाब चुभने लगते हैँ,
आँखोँ के दरमियां,
और फिर न तो ज़िँदग़ी होती है,
न ही मौत का आँचल,
प्रिय तुम मुझसे दूर,
बहुत दूर कहीँ चले जाना।
मुझे अब भूल ही जाना!,
सुना है यादेँ............
जब दौर-ए-हिज़्र का समंदर,
बेक़ाबू हो उठता है,
याद के मोती,
ढ़लक ही आते हैँ पलकोँ की दहलीज़ से,
और साथ ले आते हैँ,
फिर दुख दर्द के अफ़साने,
रूह घायल होती है फिर,
फिर मर जाने को जी करता है,
दिल की क़िताब मेँ जो,
लिखी है तुमने मेरे नाम से आयतेँ,
प्रिय देखो अब उनको,
कहीँ दूर,
बहुत दूर दफ़ना जाना।
मुझे अब भूल ही जाना!,
सुना है यादेँ जानलेवा होती है।
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sksaini4
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«Reply #1 on: May 31, 2013, 04:57:38 PM »
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bahut sunder
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Mohammad Touhid
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«Reply #2 on: May 31, 2013, 06:48:39 PM »
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bahut achhe.. Applause Applause
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aqsh
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«Reply #3 on: May 31, 2013, 08:01:22 PM »
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bahut khoob...
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marhoom bahayaat
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«Reply #4 on: May 31, 2013, 09:14:25 PM »
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मुझे अब भूल ही जाना!,
सुना है यादेँ जानलेवा होती है।
खोखला कर देती हैँ,
बशर को,
उसके वज़ूद को,
सब ख़्वाब चुभने लगते हैँ,
आँखोँ के दरमियां,
और फिर न तो ज़िँदग़ी होती है,
न ही मौत का आँचल,
प्रिय तुम मुझसे दूर,
बहुत दूर कहीँ चले जाना।
मुझे अब भूल ही जाना!,
सुना है यादेँ............
जब दौर-ए-हिज़्र का समंदर,
बेक़ाबू हो उठता है,
याद के मोती,
ढ़लक ही आते हैँ पलकोँ की दहलीज़ से,
और साथ ले आते हैँ,
फिर दुख दर्द के अफ़साने,
रूह घायल होती है फिर,
फिर मर जाने को जी करता है,
दिल की क़िताब मेँ जो,
लिखी है तुमने मेरे नाम से आयतेँ,
प्रिय देखो अब उनको,
कहीँ दूर,
बहुत दूर दफ़ना जाना।
मुझे अब भूल ही जाना!,
सुना है यादेँ जानलेवा होती है।


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