एक विरहणी के अंगो का हाल -रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on July 31, 2017, 03:30:06 AM
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दोस्तों, जब एक विरहणी विरह में होती है और उसका प्रियतम उसके पास नहीं होता तब  उसके शरीर के अंग क्या क्या क्रिया प्रतिक्रिया करते है इस कविता के माध्यम से उन्ही को दर्शाने की कोशिश की है|आशा है आप अवश्य ही समझ जायेगे ऐसी मै आशा करता हूँ| इस सम्बन्ध में आप अपनी प्रतिक्रियाओ से अवश्य अवगत कराये -धन्यवाद |

मस्तिष्क अब घूम रहा है, हर तरफ तुझ को ढूंढ रहा है    
क्यों ये चक्कर  काट रहा है ,तेरे से क्या ये मांग रहा है    

आँखे भी अब बरस रही है,तेरे दर्शन को तरस रही है
पलके भी अब भीग रही है,तेरे रूमाल को तरस रही है

गेसू भी ये बिखरे हुए है,पागलो जैसा रूप लिए हुए है
तेरे गम में सफेद हुए है,बूढियो जैसे रूप लिए हुए है

दोनों कान भी खड़े हुए है,दरवाजे पर कबसे लगे हुए है
जब भी कोई  आहट होती, सुनने को बड़े बेताब हुए है

नाक भी ऐसे सूंघ रही है,जैसे कोई चीटी चीनी ढूंढ रही है
ऐसा कुछ आभास हुआ है,जैसे तेरे बदन की गंध आ रही है

दांत भी सर्दी से बज रहे है,तेरी गर्मी को वे ढूंढ रहे है
मुझको कम्बल ओढा रहे है,सर्दी से मुझको बचा रहे है  

गोरे गाल लाल हुए है,तेरे चुम्बन के लिए बेहाल हुए है  
गालो पर जो चिन्ह बने हुए है,वो तेरी पहचान बने हुए है  


दिल की धडकन धडक रही है,तेरा नाम हर पल ले रही है
विश्राम भी नहीं ले रही है,थकने का नाम  नहीं ले रही है

सिन्दूर भरी मांग कुछ कह रही है,अपना हक ये मांग रही है    
सखिया सोलह श्रृंगार कर रही है,वे तेरा इंतजार कर रही है

माथे की बिंदिया ऐसे दमक रही है,जैसे कोई बिजली चमक रही है
आगे का रास्ता तुम्हे दिखा रही है,मेरे करीब तुमको यहाँ ला रही है  

ये सब अंग अब निराश हो रहे है,अपनी गाथा तुमको सुना रहे है  
इनको करो न अब और निराश,"रस्तोगी"तुमसे विनती कर रहे है  

आर के रस्तोगी  
  

  
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«Reply #1 on: August 01, 2017, 12:07:18 PM »
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bahut khoob waah.
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Ram Krishan Rastogi
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«Reply #2 on: August 01, 2017, 12:33:16 PM »
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बहुत बहुत शुक्रिया | तालियों की गडगहाट भी आप से कुछ कह रही है
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