कमी सिर्फ "तुम्हारी"....

by Saahir10 on April 06, 2012, 07:53:51 PM
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Saahir10
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खून के आंसू ,
तो हम भी रोए हैं...
जूनून के खरोच,
तो हमनें भी सहे हैं....

तुम्हें तो प्यार एक खेल लगा..
जो सदा ही मुझे जीवन भर का मेल लगा....

किस तरह से बता दें,
कहो तो वोह चोट भी तुझे दिखा दें....
ख़त तो हमने भी ,खून से लिखे हैं,
पिघला कर मोम अपने बदन पर सहे हैं...

काटी तो हमने भी हैं अपनी कलाई,
पर चुप रह गए....
क्योंकि मंज़ूर न थी बेवजह तेरी रुसवाई...

दोस्तों की महफ़िलो में अब मन नहीं लगता,
हर लम्हा ही तो है ये दुखता...
" क्या गलत कहा था मैंने.."
जो वोह बेदर्दी मुझे कभी नहीं दिखता...

किसी महफ़िल में जब नाम उठा मेरे प्यार का,
तो हमने भी कुछ ऐसा कर दिखाया...
लिया खंजर और काट अपना सीना दिखलाया,
लहू से मैंने उसका नाम लिख लिया...
और सरे आम प्यार सच्चा अपना साबित कर दिया...

नज़ारा यह देखकर,
कुछ ने तो हंसी में उड़ाया...
पर थे कुछ जिन्होंने हमें भी अपने सीने से लगाया,
बुझा कर महफ़िल की सभी खुशियों को,
मेरे दर्द को खूब सहलाया...

कहा हाँ तेरा प्यार सच्चा है,
क्यूँ मरता है अब भी उस पर...
वो खुश रहे,बस यही दुआ कर,
भूलकर उसे , अब नयी जिंदगानी शुरू कर....

मैं क्या कहता ,,,,
जब की मेरा खुदा जानता था....
की मैं उसकी कितनी ख़ुशी चाहता था...
दिन रात बस येही तो दुआ मांगता था...
बस उसकी ख़ुशी के लिए ही तो,
मैं एक अजनबी बन चुका था...

जीना तो छोड़ चुका था ,
बस इंतज़ार उसके एक दीदार का था...
जब वो किसी और की डोली में
हमें छोड़ जाने वाला था....

उसके बाद मौत भी हमें गले लगाले,
भले केह दे दुनिया बुजदिल मुझे...
गम के साथ कहाँ तक जी पाऊंगा,
उसके बिन कैसे चल पाऊंगा...

मरना तो है ही सबको एक दिन,
बस एक दिन पहले मर जाऊं  ...
तो भी मैं उसे न पा पाऊंगा...   :-|
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Parvana shan
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«Reply #1 on: April 07, 2012, 02:24:32 AM »
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Good.
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Kohinoor
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«Reply #2 on: April 07, 2012, 03:07:11 AM »
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Nice
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sksaini4
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«Reply #3 on: April 07, 2012, 09:17:00 AM »
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bahut achhee kavitaa hai saahir badhaai
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theyash
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«Reply #4 on: April 07, 2012, 05:09:52 PM »
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bahut khoob sahirji...
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~Hriday~
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #5 on: April 09, 2012, 05:00:48 PM »
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Anahita
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«Reply #6 on: April 12, 2012, 06:26:30 AM »
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