वोह सिर्फ तकिया ही समझ पाता है..

by cool neha on June 21, 2013, 03:31:30 PM
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cool neha
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कैसे लिखूं,भीड़ बढ़ गयी है मगर,
रिश्ते कम हो गए हैं,,,,

मंजिले तो बढ़ गयी  है बहुत मगर,,
लोगो के दिल छोटे हो गए हैं....

कैसा नियम है प्रकृति का,,
नीव का पत्थर अपनी इमारत देख नहीं सकता ....

इंसान जिसे चाहे सबसे ज्यादा उसे अपना कह नहीं सकता ....
हम चाहते है किसी को हद से ज्यादा..

शायद इसलिए उनको गुरूर हो जाता है.....
जब प्यार की भाषा समझ आती है...

तब तक हमारे प्यार को किसी और से प्यार हो जाता है...
जिंदगी इसी का नाम है ..करे तो क्या करे...
.
उन्हें लगता है उनके बिना हम जी नहीं पाते....
पर हम उन्ही को याद कर के जीए जाते हैं.....

शुक्र  है मेरा तकिया कुछ कह नहीं पाता है ...
वरना कर देता बयां यह मेरी हर कहानी....

कितना चाहते है हम उसे....
या तो मेरा  दिल या वोह सिर्फ तकिया ही समझ पाता है...
या तो मेरा  दिल या वोह सिर्फ तकिया ही समझ पाता है
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premdeep
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«Reply #1 on: June 21, 2013, 03:54:11 PM »
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शुक्र  है मेरा तकिया कुछ कह नहीं पाता है ...
वरना कर देता बयां यह मेरी हर कहानी....

just beautiful neha ji bahoot khoob
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nashwani
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«Reply #2 on: June 21, 2013, 04:16:15 PM »
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कितना चाहते है हम उसे....
या तो मेरा  दिल या वोह सिर्फ तकिया ही समझ पाता है.

Waah waah neha jee bahut umda likhti ho aap..happy9
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #3 on: June 21, 2013, 04:41:16 PM »
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Atee Sundar.
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Miru;;;;
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«Reply #4 on: June 21, 2013, 06:02:25 PM »
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NICE ONE..... Applause Applause
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Bhupinder Kaur
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«Reply #5 on: June 21, 2013, 07:27:25 PM »
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WaaH WaaH Bahut Khoob......................................
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Sudhir Ashq
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«Reply #6 on: June 21, 2013, 08:28:41 PM »
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marhoom bahayaat
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«Reply #7 on: June 22, 2013, 12:37:20 AM »
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कैसे लिखूं,भीड़ बढ़ गयी है मगर,
रिश्ते कम हो गए हैं,,,,

मंजिले तो बढ़ गयी  है बहुत मगर,,
लोगो के दिल छोटे हो गए हैं....

कैसा नियम है प्रकृति का,,
नीव का पत्थर अपनी इमारत देख नहीं सकता ....

इंसान जिसे चाहे सबसे ज्यादा उसे अपना कह नहीं सकता ....
हम चाहते है किसी को हद से ज्यादा..

शायद इसलिए उनको गुरूर हो जाता है.....
जब प्यार की भाषा समझ आती है...

तब तक हमारे प्यार को किसी और से प्यार हो जाता है...
जिंदगी इसी का नाम है ..करे तो क्या करे...
.
उन्हें लगता है उनके बिना हम जी नहीं पाते....
पर हम उन्ही को याद कर के जीए जाते हैं.....

शुक्र  है मेरा तकिया कुछ कह नहीं पाता है ...
वरना कर देता बयां यह मेरी हर कहानी....

कितना चाहते है हम उसे....
या तो मेरा  दिल या वोह सिर्फ तकिया ही समझ पाता है...
या तो मेरा  दिल या वोह सिर्फ तकिया ही समझ पाता है



good,miss
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sksaini4
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«Reply #8 on: June 22, 2013, 11:05:08 AM »
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waah waah bahut khoob
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aqsh
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«Reply #9 on: June 22, 2013, 07:40:41 PM »
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waah waah nehaji bahut khoob..
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Aru1992
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«Reply #10 on: June 23, 2013, 07:57:50 PM »
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bhut bhut sahi kaha neha ji aapne....
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Mohammad Touhid
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«Reply #11 on: July 24, 2013, 06:16:10 PM »
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waah neha.... bahut bahut khoob ji.. Applause Applause
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