behr (121/22 121/22 --- 121/22 121/22)
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बड़ी सी आँखे, महीन अबरू, पलक पलक है झुकी हुई सी
सुराही गर्दन, सियाह जुल्फें, लबों पे सुर्खी, लगी हुई सी
बताओ कैसे करूँ बयाँ मैं, जो हाल दिल का हुआ है मेरे
हूँ रूबरू मैं, तुम्हारे जब यूँ, हैं सांस मेरी रुकी हुई सी
क़लम मेरी सोच मे पड़ी है, तुम्हें ब्यां मे है लाना मुश्किल
स्याही इसकी हुई है फीकी, है नोक इसकी मुड़ी हुई सी
कनीज तेरी है दोनो देखो, नसीम-ए-सुबह , ये रात रानी
हर एक ही शै तुम्हारे आगे झुकाए सर है खड़ी हुई सी..
कभी कभी यूँ गुमां हुआ है, महक़ तुम्हारी गुलों मे महकी
चमक रही चाँदनी गगन जो, नज़र तेरी हो बिछी हुई सी
ज़रा उतारो गरूर सारा ये चाँद जिसपे चढ़ा हुआ है
उधार की रोशनी लिए ये, उधारी सर पे चढ़ी हुई सी
करे गुज़ारिश मिलो इन्हें तुम, धनक, शफ़क़ ज़ुगनू कहकशां सब
मेरे अलाबा कुछ और भी हैं, है आस जिनको लगी हुई सी
ज़रा सा सरके तुम्हारा आँचल तो तारे दिन मैं निकल पड़ेंगे
ना निकली बाहर टहलने तुम तो ये रात जैसे मुई हुई सी
है नर्म लहज़ा ग़ज़ल के जैसा रुबाई जैसी तुम्हारी बातें
हया से लिपटा बदन तुम्हारा कुंवारेपन मे छुई हुई सी
कमाल तेरा हुआ है सारा बदल गया शायरी का लहज़ा
ब्यान मेरा जुदा जुदा और फ़िक्र मेरी नयी हुई सी
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badi si aaNkheN, maheen abru, palak palak hai jhuki huee si
suraahi gardan, siyaah zulfeN, laboN pe surkhi, lagee huee si
batao kaise karuN bayaaN maiN, jo haal dil ka huaa hai mere
huN roobru maiN, tumhare jab yun, haiN saaNs meri ruki huee si
qalam meri soch mai padi hai, tumheN byaaN mai hai lana mushkil
syaahi iski huee hai feeki, hai nok iski mudi huee si
kaneez teri haiN dono dekho, naseem-e-subah ye raat raani
har ek hi shey tumhare aage jhukaye sar hai khadi huee si..
kabhi kabhi yuN gumaaN huaa hai, mahaq tumhari guloN mai mahki
chamak rahi chandni gagan jo, nazar teri ho bichhi huee si
zara utaaro garoor sara ye chand jispe chadha huaa hai
udhaar ki roshni liye ye, udhaari sar pe chadhi huee si
kareN guzarish milo inheN tum, dhanak, shafq zugnu kahkashaaN sab
mere alaava kuch aur bhi haiN, hai aas jinko lagi huee si
jara sa sarke tumhara aanchal to tare din main nikal pdenge
na nikli bahar tahalne tum to ye raat jaise muee huee si
hai naRm lahja gazal ke jaisa rubai jaisi tumhari bateN
haya se lipta badan tumhara kunwarepan mai chuee huee si
kamaal tera huaa hai sara badal gaya sahyri ka lahja
byaaN mera zudaa zudaa aur fikr meri nayee huee si
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abru... eyebrow //.... muee .. dead .. //नसीम-ए-सुबह -- morning breeze