Nazm "इंतज़ार" ...!! 'Adab'

by drpandey on October 08, 2013, 02:46:23 AM
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drpandey
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तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हें सोते में जगाऊंगा इंतज़ार करो।।

अभी तो इश्क़ में लम्हा कहाँ गुजारा है,
अभी तो हुस्न का जलवा कहाँ निखारा है,  
अभी तो सिर्फ़ मेरे दिल ने ये सदा दी है,
तुम्हारे हुस्न को बस थोड़ी सी दुवा दी है,
अभी तो हमने कोई बात बताई ही नहीं,
अभी तुम्हारी सुनी अपनी सुनाई ही नहीं,
अभी तो तुमको सुनाऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।१।।

तुम्हीं बताओ कभी मेरी मुहब्बत देखी?
हमारे रूह में किस तरह की सिद्दत देखी?
हमारे आँख में कुछ बेखुदी, हसरत देखी?
मेरी नज़र की क़शिश में कोई चाहत देखी?
तुम्हें दिखाऊंगा ये इश्क़-ऐ-तमाशा क्या है?
तुम्हें बताऊंगा की बुत में तरासा क्या है?
तुम्हारी नींद उड़ाऊंगा  इंतज़ार करो।  
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।२।।  

अभी तो लौटा हूँ सहरा से, बहोत प्यासा हूँ,
अभी तो आपकी महफ़िल का बस तमाशा हूँ,
अभी उदासी, थकन और बदहवासी है,  
अभी सफ़र की खौफ़नाक याद ताज़ी है,
शिक़न-दराज़ी मेरे चेहरे की नहीं सोई ,
हमारी नज़्म मेरे क़ल्ब में बहोत रोई,
अभी तो चेहरा सजाऊंगा इंतज़ार करो।  
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।३।।

तमाम पर्त धूल आईने पे फैली है,
सदीद राख मेरे मायने पे फैली है,
इसे हटाऊँ जरा उसको भी समेटूं तो,
सितम की खाक़ जरा ज़िस्म पे लपेटूं तो,
अभी ना राहे-दास्तान याद आने दो,
सफ़र की याद मुझे कुछ तो भूल जाने दो,
तुम्हारे बज़्म में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब चुराऊंगा इंतज़ार करो।।४।।  

अभी तो ख्वाहिशे-परवान और चढ़ने दो,
हमारे इश्क़ के दरिया को और बढ़ने दो,
हमारी ग़ज़ल में ढ़लने का तरीक़ा सीखो,
अभी तो दिल में उतरने का सलीका सीखो,
मुझे तो फूल सजाने के लिए लाना है,
अभी तो लौट के आने के लिए जाना है,
तुम्हें नज़्मों में बसाऊंगा इंतज़ार करो।  
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।५।।

'अदब'
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«Reply #1 on: October 08, 2013, 03:13:33 AM »
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तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हें सोते में जगाऊंगा इंतज़ार करो।।

अभी तो इश्क़ में लम्हा कहाँ गुजारा है,
अभी तो हुस्न का जलवा कहाँ निखारा है, 
अभी तो सिर्फ़ मेरे दिल ने ये सदा दी है,
तुम्हारे हुस्न को बस थोड़ी सी दुवा दी है,
अभी तो हमने कोई बात बताई ही नहीं,
अभी तुम्हारी सुनी अपनी सुनाई ही नहीं,
अभी तो तुमको सुनाऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।१।।

तुम्हीं बताओ कभी मेरी मुहब्बत देखी?
हमारे रूह में किस तरह की सिद्दत देखी?
हमारे आँख में कुछ बेखुदी, हसरत देखी?
मेरी नज़र की क़शिश में कोई चाहत देखी?
तुम्हें दिखाऊंगा ये इश्क़-ऐ-तमाशा क्या है?
तुम्हें बताऊंगा की बुत में तरासा क्या है?
तुम्हारी नींद उड़ाऊंगा  इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।२।। 

अभी तो लौटा हूँ सहरा से, बहोत प्यासा हूँ,
अभी तो आपकी महफ़िल का बस तमाशा हूँ,
अभी उदासी, थकन और बदहवासी है, 
अभी सफ़र की खौफ़नाक याद ताज़ी है,
शिक़न-दराज़ी मेरे चेहरे की नहीं सोई ,
हमारी नज़्म मेरे क़ल्ब में बहोत रोई,
अभी तो चेहरा सजाऊंगा इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।३।।

तमाम पर्त धूल आईने पे फैली है,
सदीद राख मेरे मायने पे फैली है,
इसे हटाऊँ जरा उसको भी समेटूं तो,
सितम की खाक़ जरा ज़िस्म पे लपेटूं तो,
अभी ना राहे-दास्तान याद आने दो,
सफ़र की याद मुझे कुछ तो भूल जाने दो,
तुम्हारे बज़्म में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब चुराऊंगा इंतज़ार करो।।४।। 

अभी तो ख्वाहिशे-परवान और चढ़ने दो,
हमारे इश्क़ के दरिया को और बढ़ने दो,
हमारी ग़ज़ल में ढ़लने का तरीक़ा सीखो,
अभी तो दिल में उतरने का सलीका सीखो,
मुझे तो फूल सजाने के लिए लाना है,
अभी तो लौट के आने के लिए जाना है,
तुम्हें नज़्मों में बसाऊंगा इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।५।। 


'अदब'
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: October 08, 2013, 03:37:48 AM »
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Pandey Jee Aadaab...!

WaaH waaH waaH janab waaH kia kahne janab badi hi dilkash pur asar aur lutf bhari nazm pesh kii hai aapne...

Behad khoobsurat khayaaloN ko umdaa lafz diye haiN janab.. is khoobsurat nazm par humari hazaaroN dili daad o mubbarakbad kabul kijiye...

Likhate rahiye... Bazm meiN aate rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez...

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sbechain
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«Reply #3 on: October 08, 2013, 03:38:33 AM »
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english ke font mein bhi likha karein icon_flower icon_flower icon_flower!
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #4 on: October 08, 2013, 05:43:17 AM »
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तमाम पर्त धूल आईने पे फैली है,
सदीद राख मेरे मायने पे फैली है,
इसे हटाऊँ जरा उसको भी समेटूं तो,
सितम की खाक़ जरा ज़िस्म पे लपेटूं तो,
अभी ना राहे-दास्तान याद आने दो,
सफ़र की याद मुझे कुछ तो भूल जाने दो,
तुम्हारे बज़्म में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब चुराऊंगा इंतज़ार करो।।४।। 

अभी तो ख्वाहिशे-परवान और चढ़ने दो,
हमारे इश्क़ के दरिया को और बढ़ने दो,
हमारी ग़ज़ल में ढ़लने का तरीक़ा सीखो,
अभी तो दिल में उतरने का सलीका सीखो,
मुझे तो फूल सजाने के लिए लाना है,
अभी तो लौट के आने के लिए जाना है,
तुम्हें नज़्मों में बसाऊंगा इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।५।। 

Behadh Umda.!!
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soudagar
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«Reply #5 on: October 08, 2013, 11:22:06 AM »
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AAHAAA KYA BAAT KYA BAAT KYA BAAT... BEHAD KHUBSURAT POEM...BEHAD LAJAWAB POEM.....BAR BAR PADHNE MEIN BADA MAZA AA RA HAI SIR.....LAKHON DILII DAAD QABOOL FARMAYEIN.......

 Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
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saahill
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«Reply #6 on: October 08, 2013, 11:31:29 AM »
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waah waah waah waah waah waah waah waah waah waah
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aqsh
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«Reply #7 on: October 08, 2013, 01:13:57 PM »
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 Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Waaaaaaah waah waah.. bahut hi khoobsurat nazm kahi hai aapne.. bahut hi dilchasp khayaal rahe.. dili daaaaaaad qubool kare...
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nandbahu
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«Reply #8 on: October 08, 2013, 03:35:32 PM »
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bahut khoob
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adil bechain
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«Reply #9 on: October 08, 2013, 04:11:56 PM »
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तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हें सोते में जगाऊंगा इंतज़ार करो।।

अभी तो इश्क़ में लम्हा कहाँ गुजारा है,
अभी तो हुस्न का जलवा कहाँ निखारा है, 
अभी तो सिर्फ़ मेरे दिल ने ये सदा दी है,
तुम्हारे हुस्न को बस थोड़ी सी दुवा दी है,
अभी तो हमने कोई बात बताई ही नहीं,
अभी तुम्हारी सुनी अपनी सुनाई ही नहीं,
अभी तो तुमको सुनाऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।१।।

तुम्हीं बताओ कभी मेरी मुहब्बत देखी?
हमारे रूह में किस तरह की सिद्दत देखी?
हमारे आँख में कुछ बेखुदी, हसरत देखी?
मेरी नज़र की क़शिश में कोई चाहत देखी?
तुम्हें दिखाऊंगा ये इश्क़-ऐ-तमाशा क्या है?
तुम्हें बताऊंगा की बुत में तरासा क्या है?
तुम्हारी नींद उड़ाऊंगा  इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।२।। 

अभी तो लौटा हूँ सहरा से, बहोत प्यासा हूँ,
अभी तो आपकी महफ़िल का बस तमाशा हूँ,
अभी उदासी, थकन और बदहवासी है, 
अभी सफ़र की खौफ़नाक याद ताज़ी है,
शिक़न-दराज़ी मेरे चेहरे की नहीं सोई ,
हमारी नज़्म मेरे क़ल्ब में बहोत रोई,
अभी तो चेहरा सजाऊंगा इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।३।।

तमाम पर्त धूल आईने पे फैली है,
सदीद राख मेरे मायने पे फैली है,
इसे हटाऊँ जरा उसको भी समेटूं तो,
सितम की खाक़ जरा ज़िस्म पे लपेटूं तो,
अभी ना राहे-दास्तान याद आने दो,
सफ़र की याद मुझे कुछ तो भूल जाने दो,
तुम्हारे बज़्म में आऊंगा इंतज़ार करो।
तुम्हारे ख्वाब चुराऊंगा इंतज़ार करो।।४।। 

अभी तो ख्वाहिशे-परवान और चढ़ने दो,
हमारे इश्क़ के दरिया को और बढ़ने दो,
हमारी ग़ज़ल में ढ़लने का तरीक़ा सीखो,
अभी तो दिल में उतरने का सलीका सीखो,
मुझे तो फूल सजाने के लिए लाना है,
अभी तो लौट के आने के लिए जाना है,
तुम्हें नज़्मों में बसाऊंगा इंतज़ार करो। 
तुम्हारे ख्वाब में आऊंगा इंतज़ार करो।।५।। 


'अदब'

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«Reply #10 on: October 08, 2013, 04:36:37 PM »
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«Reply #11 on: October 08, 2013, 04:46:44 PM »
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bohut khoob bohut hi dilfareb nazm
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drpandey
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«Reply #12 on: October 08, 2013, 04:47:26 PM »
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AAHAAA KYA BAAT KYA BAAT KYA BAAT... BEHAD KHUBSURAT POEM...BEHAD LAJAWAB POEM.....BAR BAR PADHNE MEIN BADA MAZA AA RA HAI SIR.....LAKHON DILII DAAD QABOOL FARMAYEIN.......

 Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP

Bhai Soudagar Sahab,

Kalaam pasand farmaney aur hausla afzai ka behad shukriya...!!

'Adab'

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drpandey
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«Reply #13 on: October 08, 2013, 04:50:09 PM »
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bohut khoob bohut hi dilfareb nazm
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Janaab Sahal Sahab,

Kalaam pasand farmaney aur hausla afzai ka behad shukriya...!!

'Adab'
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drpandey
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«Reply #14 on: October 08, 2013, 05:23:33 PM »
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Waaaaaaah waah waah.. bahut hi khoobsurat nazm kahi hai aapne.. bahut hi dilchasp khayaal rahe.. dili daaaaaaad qubool kare...

Janaab Aqsh JI,

Daad-o-mubarakbaad aur hausla afzai ka tahe-dil se shukrgujaar hoon...!!

:Adab'
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