करीब

by anjaanajnabi on March 18, 2010, 04:39:54 AM
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anjaanajnabi
Guest
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करीब न होती तो तुझको भूल जाता
यह तेरा इंतज़ार ही तो है
जो मुझको भूलने से रोक लेता है
वरना मैं तो कब का
आंशुयों के दरिया में बह गया होता

यह इंतज़ार भी क्या चीज़ है
जो उस हसीं चहरे के बिना जीना सीखा देता है
वरना मैं तो कब का
गम के सागर में सो गया होता

यह तेरा ख्बाब ही तो है
जो मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता है
वरना मैं तो कब का
तनहा रहने के डर से सहम गया होता


यह तेरे साथ बीताया वक्त ही तो है
जो तेरी यादों को सजाया रखा है
वरना मैं तो कब का
पतझड़ का पेड़ बन गया होता

तेरी खुशबू ही तो है जो मुझे खींच लाई है
वरना यूं भीड़ में मैं वर्षों बाद भी पहचान न लेता
खुदा का शुक्र है जो तुमने भी मुझे पहचान लिया
वरना मैं तो कब का
यहाँ खड़े खड़े पत्थर बन गया होता
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riyaz106
Guest
«Reply #1 on: March 18, 2010, 06:49:19 AM »
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वाह अंजान जी बडी अच्छी कविता है. बहुत सुन्दर.
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KOYAL46
Guest
«Reply #2 on: March 18, 2010, 07:11:20 AM »
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Sunder bhavpurn kavita hai aapki.....AAji.......... Applause Applause Applause

Meel k pathhar bhi ban gaye hote Tum
Pehchhan he lete teree moorat ko hum




करीब न होती तो तुझको भूल जाता
यह तेरा इंतज़ार ही तो है
जो मुझको भूलने से रोक लेता है
वरना मैं तो कब का
आंशुयों के दरिया में बह गया होता

यह इंतज़ार भी क्या चीज़ है
जो उस हसीं चहरे के बिना जीना सीखा देता है
वरना मैं तो कब का
गम के सागर में सो गया होता

यह तेरा ख्बाब ही तो है
जो मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता है
वरना मैं तो कब का
तनहा रहने के डर से सहम गया होता


यह तेरे साथ बीताया वक्त ही तो है
जो तेरी यादों को सजाया रखा है
वरना मैं तो कब का
पतझड़ का पेड़ बन गया होता

तेरी खुशबू ही तो है जो मुझे खींच लाई है
वरना यूं भीड़ में मैं वर्षों बाद भी पहचान न लेता
खुदा का शुक्र है जो तुमने भी मुझे पहचान लिया
वरना मैं तो कब का
यहाँ खड़े खड़े पत्थर बन गया होता
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SURESH SANGWAN
Guest
«Reply #3 on: March 18, 2010, 05:41:43 PM »
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bahut achhi peshkash. icon_flower icon_flower Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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riyaz106
Guest
«Reply #4 on: March 19, 2010, 02:11:39 PM »
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Anjaan ji, as desired, the duplicate post has been deleted from that section.
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madhuwesh
Guest
«Reply #5 on: March 21, 2010, 12:01:00 AM »
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Wah bahut khoob Anjaan ji.marvelous creation,beautiful lines by Koyal ji. Hats off to you! Applause Applause Applause Applause Applause
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