करीब

by anjaanajnabi on June 07, 2010, 11:01:17 AM
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anjaanajnabi
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न जाने वो मेरे करीब कैसे आ गए
एक क्षण भी न लगा  उनको दिल में समाने में
 
और भी तो थे ज़माने में
फिर मुझे ही क्यों खिंच लाये मैखाने में
 
इतना पिलाया हैं उन्होंने होठों से
की जाम झलकने लगा   है इन आँखों से

खूबसूरत हो गया है मेरा हर एक पल
शायद इसलिए मज़ा आता है साकी तुझको पिलाने में

मोहब्बत ही बसी है हर जर्रे जर्रे में
दर्द ही पाया है हर बार उसे जलाने में

जिन झपकियों से दूर था तू "अंजान"
आज वही काम आ रही हैं  तुझे सपने दिखाने में
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«Reply #1 on: June 07, 2010, 04:51:00 PM »
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न जाने वो मेरे करीब कैसे आ गए
एक क्षण भी न लगा  उनको दिल में समाने में
 
और भी तो थे ज़माने में
फिर मुझे ही क्यों खिंच लाये मैखाने में
 
इतना पिलाया हैं उन्होंने होठों से
की जाम झलकने लगा   है इन आँखों से

खूबसूरत हो गया है मेरा हर एक पल
शायद इसलिए मज़ा आता है साकी तुझको पिलाने में

मोहब्बत ही बसी है हर जर्रे जर्रे में
दर्द ही पाया है हर बार उसे जलाने में

जिन झपकियों से दूर था तू "अंजान"
आज वही काम आ रही हैं  तुझे सपने दिखाने में


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«Reply #2 on: June 14, 2010, 11:11:38 PM »
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Bahut khoob likha hai aapne Anjaan ji... bahut khoob...!!!
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Ghulam Haider
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«Reply #3 on: June 16, 2010, 03:09:32 PM »
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न जाने वो मेरे करीब कैसे आ गए
एक क्षण भी न लगा  उनको दिल में समाने में
 
और भी तो थे ज़माने में
फिर मुझे ही क्यों खिंच लाये मैखाने में
 
इतना पिलाया हैं उन्होंने होठों से
की जाम झलकने लगा   है इन आँखों से

खूबसूरत हो गया है मेरा हर एक पल
शायद इसलिए मज़ा आता है साकी तुझको पिलाने में

मोहब्बत ही बसी है हर जर्रे जर्रे में
दर्द ही पाया है हर बार उसे जलाने में

जिन झपकियों से दूर था तू "अंजान"
आज वही काम आ रही हैं  तुझे सपने दिखाने में

Anjaanajnabi, Aapka Kalaam Bohot Khoobsoorat Hai.
Khayalaat Achhe Hain,
Mujhe Ummeed Hai Ke Agar Aap Koshish Kren to Aazaad Shayeri Ke Alava Achhi Ghazal Bhi Keh Sakte Hain
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