SURESH SANGWAN
Guest
|
|
|
आएगी वो भी सिमटकर बहार क्यूँ ना हो उसके तस्व्वुर से दिल गुलज़ार क्यूँ ना हो
दिल में शहनाई- सी बजे उसकी बातों से ना सुनूँ अब वाइज़ की गुफ्तार क्यूँ ना हो
नज़रों में समाई है मैकशी ज़माने की मयकदे का दरवाज़ा ना-चार क्यूँ ना हो
बदल के तेज़ धूप को चाँदनी रात कर दे उस पल के लिए ये दिल बेक़रार क्यूँ ना हो
जो निकल गई लबों से हर बात निभाई है तुम ही कहो उस शख़्स पे एतबार क्यूँ ना हो
मिला है अब जाके ज़माने में ख़ुद सा कोइ निसारउस पर दिल-ए-रंग-ए-बहार क्यूँ ना हो
हज़ार क़ाफ़िले आते हैं जश्न मनाते हुए उसकी दीद का 'सरु'को इंतज़ार क्यूँ ना हो
Aayegi vo bhi simatkar bahhar kyun na ho Uske tassavvur se dil gulzar kyun na ho
Dil mein shehnai si baje uski baton se Na sunoo ab wise ki guftaar kyun na ho
nazroN mein samaai hai maikashi zamaane ki maikade ka darwaza na-char kyun na ho
Badal ke tez dhoop ko chandni raat kar de Uss pal ke liye dil ye bekraar kyun na ho
Jo nikal gai labon se har baat nibhai hai Tum hi uss shakhs pe eitbaar kyun na ho
Mila hai ab jaake zamaane mein khud sa koi Nisar uss par dil-e-rang-e –bahaar kyun na ho
Hazaar kafile aate hain jashn manaate hue Uski deed ka ‘saru’ko intezaar kyun na ho
|
|
|
Logged
|
|
|
|
adil bechain
Umda Shayar
Rau: 161
Offline
Gender:
Waqt Bitaya:31 days, 18 hours and 24 minutes.
Posts: 6552 Member Since: Mar 2009
|
|
«Reply #1 on: October 16, 2013, 08:23:24 PM » |
|
आएगी वो भी सिमटकर बहार क्यूँ ना हो उसके तस्व्वुर से दिल गुलज़ार क्यूँ ना हो
दिल में शहनाई- सी बजे उसकी बातों से ना सुनूँ अब वाइज़ की गुफ्तार क्यूँ ना हो
नज़रों में समाई है मैकशी ज़माने की मयकदे का दरवाज़ा ना-चार क्यूँ ना हो
बदल के तेज़ धूप को चाँदनी रात कर दे उस पल के लिए ये दिल बेक़रार क्यूँ ना हो
जो निकल गई लबों से हर बात निभाई है तुम ही कहो उस शख़्स पे एतबार क्यूँ ना हो
मिला है अब जाके ज़माने में ख़ुद सा कोइ निसारउस पर दिल-ए-रंग-ए-बहार क्यूँ ना हो
हज़ार क़ाफ़िले आते हैं जश्न मनाते हुए उसकी दीद का 'सरु'को इंतज़ार क्यूँ ना हो
बदल के तेज़ धूप को चाँदनी रात कर दे उस पल के लिए ये दिल बेक़रार क्यूँ ना होwaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa [/b][/color]
janaab aapke khoobsoorat ghazal ko ek rau nawaazta hoon
|
|
|
Logged
|
|
|
|
Advo.RavinderaRavi
Guest
|
|
«Reply #2 on: October 16, 2013, 08:27:32 PM » |
|
आएगी वो भी सिमटकर बहार क्यूँ ना हो उसके तस्व्वुर से दिल गुलज़ार क्यूँ ना हो
दिल में शहनाई- सी बजे उसकी बातों से ना सुनूँ अब वाइज़ की गुफ्तार क्यूँ ना हो
नज़रों में समाई है मैकशी ज़माने की मयकदे का दरवाज़ा ना-चार क्यूँ ना हो
बदल के तेज़ धूप को चाँदनी रात कर दे उस पल के लिए ये दिल बेक़रार क्यूँ ना हो
जो निकल गई लबों से हर बात निभाई है तुम ही कहो उस शख़्स पे एतबार क्यूँ ना हो
मिला है अब जाके ज़माने में ख़ुद सा कोइ निसारउस पर दिल-ए-रंग-ए-बहार क्यूँ ना हो
हज़ार क़ाफ़िले आते हैं जश्न मनाते हुए उसकी दीद का 'सरु'को इंतज़ार क्यूँ ना हो
वाह-वाह क्या बात है,बहुत खूब.!!
|
|
|
Logged
|
|
|
|
SURESH SANGWAN
Guest
|
|
«Reply #3 on: October 16, 2013, 08:28:30 PM » |
|
|
|
|
Logged
|
|
|
|
SURESH SANGWAN
Guest
|
|
«Reply #4 on: October 16, 2013, 08:29:11 PM » |
|
|
|
|
Logged
|
|
|
|
|
RAJAN KONDAL
Guest
|
|
«Reply #6 on: October 16, 2013, 11:23:37 PM » |
|
wha wha wha wha bhut khub
|
|
|
Logged
|
|
|
|
|
SURESH SANGWAN
Guest
|
|
«Reply #8 on: October 16, 2013, 11:24:56 PM » |
|
|
|
|
Logged
|
|
|
|
dksaxenabsnl
YOS Friend of the Month
Yoindian Shayar
Rau: 109
Offline
Gender:
Waqt Bitaya:20 days, 20 hours and 34 minutes.
खुश रहो खुश रहने दो l
Posts: 4127 Member Since: Feb 2013
|
|
«Reply #9 on: October 17, 2013, 12:16:14 AM » |
|
|
|
|
Logged
|
|
|
|
sksaini4
Ustaad ae Shayari
Rau: 853
Offline
Gender:
Waqt Bitaya:112 days, 8 hours and 51 minutes.
Posts: 36414 Member Since: Apr 2011
|
|
«Reply #10 on: October 17, 2013, 01:22:42 AM » |
|
हज़ार क़ाफ़िले आते हैं जश्न मनाते हुए उसकी दीद का 'सरु'को इंतज़ार क्यूँ ना हो
bahut khoob suresh ji
|
|
|
Logged
|
|
|
|
|
nandbahu
Mashhur Shayar
Rau: 122
Offline
Gender:
Waqt Bitaya:20 days, 4 hours and 11 minutes.
Posts: 14553 Member Since: Sep 2011
|
|
«Reply #12 on: October 17, 2013, 09:40:25 AM » |
|
bahut khoob
|
|
|
Logged
|
|
|
|
aqsh
Guest
|
|
«Reply #13 on: October 17, 2013, 02:28:17 PM » |
|
|
|
|
Logged
|
|
|
|
saahill
Mashhur Shayar
Rau: 86
Offline
Waqt Bitaya:147 days, 19 hours and 41 minutes.
Posts: 18617 Member Since: Jun 2009
|
|
«Reply #14 on: October 17, 2013, 02:29:52 PM » |
|
waah waah waah suresh sahab waah waah bas waah waah
|
|
|
Logged
|
|
|
|
|