प्रेम-तत्त्व

by devanshukashyap on February 25, 2011, 01:49:08 PM
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devanshukashyap
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इस धरा पे मैं फिर जन्मा हूँ
मुझे उस तत्त्व कि तलाश है,
जो है सौम्य, अति मनभावन,
जो इस सृष्टि में विद्यमान है |

सोचता रहता हूँ क्या है वो
जिसे पाने पुनः अवतरित हुआ हूँ,
क्या वह वस्तु है? या कोइ भाव है?
सर्वत: जिससे वांछित रहा हूँ |

घोर नियम धर कड़ी तपस्या
क्यों ना मेरी फलीभूत हुई?
क्यूँ आया मैं इस धरा पे फिर से
क्यूँ ना मेरी परिपूर्ति हुई ?

सहसा हुई नुपुरों कि छन छन
अब वाम कोष झंकृत हुआ,
आती दिखी प्रियतमा मुझे तुम
इस सृष्टि का सार सार्थक हुआ |

नमन है तुमको हे वामांगी
बस तुम्हारी ही तलाश थी
युगों युगों से भूला था जिसे
सर्वत: मेरे तुम विद्यमान थी |

ज्ञात हुआ है अब यह मुझको
प्रेम ही सार है इस जीवन का ,
जो है परम सत्य, अति पावन
जो है परम तत्त्व इस जग का |

इस सृष्टि का अणु परमाणु
प्रीत द्वार का रागी है,
नभ के सूरज चाँद – सितारे
इस बात के साक्षी हैं |

गौलोक के मेरे स्वामी
राधा संग ही पूरण हैं ,
जब तक स्मरें ना हम राधे को
तब तक वे ना आते हैं |

स्पर्श तेरा करने जब आया
छम से घुल गई व्योम में तुम,
जागृत हुई मुझमें अब मृगतृष्णा
जिसकी तृप्ति थी केवल तुम |

बन हठयोगी अब मैं हठ साधी
तेरी प्राप्ति कि अब धुन लागी,
पावन राम नाम माला धर
तव नाम का हो गया मैं वैरागी |

प्रतिदिन प्रतिपल हर इक श्वास ले
नाम तेरा जपता रहता हूँ,
संजोग दिवस के मधुर क्षणों का
नित चिंतन करता रहता हूँ |

हर उद्यान के हर इक पुष्प में
तेरे मुख का दर्शन है ,
सुंदर निश्चल मधुर खगोँ का,
राग तेरा ही दर्पण है |

चहुँ दिशा से बहती वायु
स्पर्श तेरा मुझे करवाती है,
और इस मंद पवना के शुभ कर
प्रेम कलश तेरा छलकातीं है |

अब तक नैन टिकाये हूँ मैं
उस ही सुंदर से पथ पे ,
मेरे अवतरण के उत्तर हेतु
संजोग हुआ था जहाँ तुझसे |

सहस्त्र सूर्यों सी आभा जागी
आयी पुनः तुम उस पथ पे,
अब होगा तप मेरा परिपूरण
हमारे मिलन कि वेला पे |

हे प्रियतमा , हे अर्धांगिनी,
धन्य हो तुम यह तत्त्व धरे,
पुरुष तत्त्व की पूर्ति तुम करती,
यह ब्रह्मांड है तुमसे चले |

अति शीघ्र अब तुम आ जाओ
तनिक भी मत विलंब करो,
अपनी शक्ति का ‘इ’ मुझको दे,
शव से मुझे शिव कर दो |

अति शीघ्र अब तुम आ जाओ
तनिक भी मत विलंब करो,
अपनी शक्ति का ‘इ’ मुझको दे,
शव से मुझे शिव कर दो |

संकलित द्वारा :
देवांशु कश्यप
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deepika_divya
Guest
«Reply #1 on: February 25, 2011, 06:30:15 PM »
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Awesome Job Done !!!! Bahoot Uttam Devanshu ji !
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Rishi Agarwal
Guest
«Reply #2 on: February 25, 2011, 06:34:41 PM »
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Lajawab Likha Hai Aapne Devanshu JI
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amit suffi
Guest
«Reply #3 on: February 26, 2011, 10:57:51 AM »
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aattma dhayan ka marag dikhati hai
taan ki bhokh rasta bhatkati hai
kayya karam kamane aatti hai
mayya uss ko loot kar le jatti hai.




jo dhondhe hai uss parbhu ko
aapna maan taan hai khoyye
jin gher poojan ko bette maa baap
wahi dar moksh hai hoyye.

                          amit suffi
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kalsun
Guest
«Reply #4 on: February 26, 2011, 04:25:13 PM »
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Awesome Job Done !!!! Bahoot Uttam Devanshu ji !
beautiful could not find words to celeberate this
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devanshukashyap
Guest
«Reply #5 on: February 27, 2011, 01:20:39 PM »
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@sophie, @rishi, @kalsun, @amit
Thankx a lot for ur appreciation and acceptance
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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