SURESH SANGWAN
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कहना चाहती है इक़ सुनहरी सी मुस्कान कुछ रस्म-ए-उल्फ़त का मुझको होता है इम्कान कुछ
वो दिलक़श लम्हा इक़ बीज़ हरा छोड़ गया दिल में एहसास ये हुआ जैसे मुद्दत से है पहचान कुछ
दिल-ए-ज़मीं की सरहदें क्यूँ तोड़ती है धड़कन बेक़रारी- सी है शायद खो गया सामान कुछ
आवारा एक बादल से गुलशन-ए-दिल महक उठा ख़ूबसूरत दिलकश भी मगर है अभी अंजान कुछ
कसक वो है उसकी बातों में दुनियाँ बदल जाए धड़क जाता है दिल तड़प जाते हैं अरमान कुछ
उठती है धुन कोई आवाज़ में हैं साज़ बहुत ग़ज़लों में ढलकर दिल से निकले हैं अरमाँ कुछ
एक और दुनियाँ का होने लगा एहसास यारब़ मोहब्बत में नहीं चाहिए 'सरु'को एहसान कुछ
Kehna chahti hai ek sunhari si muskan kuch Rasm-e-ulfat ka mujhko hota hai imkan kuch
Vo dilkash lamha ek beez hara chhod gaya dil mein Ehsaas ye hua jaise muddat se hai pehchan kuch
Dil-e-zameen ki sarhadein kyun todti hai dhadkan Bekaraari si hai shayad kho gaya samaan kuch
Awara ik baadal se gulshan-e-dil mehak utha. Khoobsoorat dilkash bhi magar hai abhi anjaan kuch
Kasak vo hai uski baton mein doonia badal jaye Dhadak jata hai dil tadap jaate hain armaan kuch
Uthati hai dhun koi awaaz mein hai saaz bahut Ghazalon mein dhalkar nikle hain armaan kuch
Ek aur hi doonia ka hone laga ehsas yaRab Mohabbat mein nahin chahiye ‘saru’ko ehsaan kuch
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khamosh_aawaaz
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«Reply #1 on: October 10, 2013, 07:36:06 PM » |
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कहना चाहती है इक़ सुनहरी सी मुस्कान कुछ रस्म-ए-उल्फ़त का मुझको होता है इम्कान कुछ
वो दिलक़श लम्हा इक़ बीज़ हरा छोड़ गया दिल में एहसास ये हुआ जैसे मुद्दत से है पहचान कुछ
दिल-ए-ज़मीं की सरहदें क्यूँ तोड़ती है धड़कन बेक़रारी- सी है शायद खो गया सामान कुछ
आवारा एक बादल से गुलशन-ए-दिल महक उठा ख़ूबसूरत दिलकश भी मगर है अभी अंजान कुछ
कसक वो है उसकी बातों में दुनियाँ बदल जाए धड़क जाता है दिल तड़प जाते हैं अरमान कुछ
उठती है धुन कोई आवाज़ में हैं साज़ बहुत ग़ज़लों में ढलकर दिल से निकले हैं अरमाँ कुछ
एक और दुनियाँ का होने लगा एहसास यारब़ मोहब्बत में नहीं चाहिए 'सरु'को एहसान कुछ
veriiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii naaaaaaaaaaaaaaaice-ss
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #2 on: October 10, 2013, 07:39:53 PM » |
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waah waah bahut hee khoobsoorat kalaam dheron daad aur mubarakbaad
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SURESH SANGWAN
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«Reply #3 on: October 10, 2013, 07:43:11 PM » |
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thanks K_A ji veriiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii naaaaaaaaaaaaaaaice-ss
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SURESH SANGWAN
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«Reply #4 on: October 10, 2013, 07:44:40 PM » |
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dksaxenabsnl
YOS Friend of the Month
Yoindian Shayar
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खुश रहो खुश रहने दो l
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«Reply #7 on: October 10, 2013, 07:53:44 PM » |
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aqsh
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«Reply #9 on: October 10, 2013, 08:01:40 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #10 on: October 10, 2013, 08:03:14 PM » |
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khujli
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«Reply #11 on: October 10, 2013, 08:12:42 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #12 on: October 10, 2013, 08:13:57 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #14 on: October 10, 2013, 08:21:39 PM » |
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