मेरी ग़ज़लों मे जो खुशबु है, वो कोई और नही तु है

by mrigank on July 06, 2012, 07:58:07 AM
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mrigank
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मेरी ग़ज़लों मे जो खुशबु है,
वो कोई और नही तु है
अब तलाश है उस शब्द की
तेरे हुस्न को जो बयां करे
वो कलम भी कहां मिले
तेरे गेसुओ पे जो लिखा करे
वो जो होठ थे या दरिया कोई
दिखे जैसे ज़ाम छलकता कोई
जो शायर को मदहोश पॅगाम दे दे
ग़ज़लो मे मय सा अंज़ाम दे दे
जो कुदरत का कोई जादु है
वो कोई और नही तु है

जिससे रॉशन हुं मॅ वो नज़रें तेरी है
आईना है मेरा वो नज़रें तेरी है
जिसने आशिक को आग़ाज़ सफर के दिये है
जिसमे सिमटी है दुनिया वो नज़रें तेरी है
जिससे बचना भी चाहे तो बच भी ना पाए
कुछ एसी है कातील तेरी निगाहे
हर शम्मा की जो आरज़ु है
वो कोई और नही तु है

ज़माने मे आशिक मिलते बहुत है
संभल के निकलना खतरे बहूत है
मेरी चाहत को तुम गलत मत समझना
तेरी यादों को ना्ज़ो. से पाला बहुत है
छिपाना भी चाहुं छिपा ना सकुगा
मिटाना भी चाहु मिटा ना सकुगा
वो जो आखरी आरज़ु है
वो कोई और नही तु है
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mrigank
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«Reply #1 on: July 06, 2012, 07:58:16 AM »
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मेरी ग़ज़लों मे जो खुशबु है,
वो कोई और नही तु है
अब तलाश है उस शब्द की
तेरे हुस्न को जो बयां करे
वो कलम भी कहां मिले
तेरे गेसुओ पे जो लिखा करे
वो जो होठ थे या दरिया कोई
दिखे जैसे ज़ाम छलकता कोई
जो शायर को मदहोश पॅगाम दे दे
ग़ज़लो मे मय सा अंज़ाम दे दे
जो कुदरत का कोई जादु है
वो कोई और नही तु है

जिससे रॉशन हुं मॅ वो नज़रें तेरी है
आईना है मेरा वो नज़रें तेरी है
जिसने आशिक को आग़ाज़ सफर के दिये है
जिसमे सिमटी है दुनिया वो नज़रें तेरी है
जिससे बचना भी चाहे तो बच भी ना पाए
कुछ एसी है कातील तेरी निगाहे
हर शम्मा की जो आरज़ु है
वो कोई और नही तु है

ज़माने मे आशिक मिलते बहुत है
संभल के निकलना खतरे बहूत है
मेरी चाहत को तुम गलत मत समझना
तेरी यादों को ना्ज़ो. से पाला बहुत है
छिपाना भी चाहुं छिपा ना सकुगा
मिटाना भी चाहु मिटा ना सकुगा
वो जो आखरी आरज़ु है
वो कोई और नही तु है
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mrigank
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«Reply #2 on: July 06, 2012, 07:58:29 AM »
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मेरी ग़ज़लों मे जो खुशबु है,
वो कोई और नही तु है
अब तलाश है उस शब्द की
तेरे हुस्न को जो बयां करे
वो कलम भी कहां मिले
तेरे गेसुओ पे जो लिखा करे
वो जो होठ थे या दरिया कोई
दिखे जैसे ज़ाम छलकता कोई
जो शायर को मदहोश पॅगाम दे दे
ग़ज़लो मे मय सा अंज़ाम दे दे
जो कुदरत का कोई जादु है
वो कोई और नही तु है

जिससे रॉशन हुं मॅ वो नज़रें तेरी है
आईना है मेरा वो नज़रें तेरी है
जिसने आशिक को आग़ाज़ सफर के दिये है
जिसमे सिमटी है दुनिया वो नज़रें तेरी है
जिससे बचना भी चाहे तो बच भी ना पाए
कुछ एसी है कातील तेरी निगाहे
हर शम्मा की जो आरज़ु है
वो कोई और नही तु है

ज़माने मे आशिक मिलते बहुत है
संभल के निकलना खतरे बहूत है
मेरी चाहत को तुम गलत मत समझना
तेरी यादों को ना्ज़ो. से पाला बहुत है
छिपाना भी चाहुं छिपा ना सकुगा
मिटाना भी चाहु मिटा ना सकुगा
वो जो आखरी आरज़ु है
वो कोई और नही तु है
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soudagar
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«Reply #3 on: July 06, 2012, 08:02:20 AM »
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wah mrigank ji bahut khub....... bahut hi umda kya kehne aapke is qalaam ke dhero daad aur mubarakbaad..........bas shabd to yahin khatam hai pr dil se daad dhero abhi bhi aa rahi hai.... Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley


aur haan agar aap jab apni rachna submit karte hai to error aata hoga shayad jis wajh se aap bar bar try karte hai error aane par bhi koi bat nahi wo rachna aapki submit ho chuki hoti hai isliye bar bar try na karein kyunki us wajh se aapki rachna kai bar submit ho jati hai yo india par..........
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sksaini4
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«Reply #4 on: July 06, 2012, 09:40:34 AM »
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waah waah bahut hee romantic peshkash hai dili daad qubool farmaayen
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mkv
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«Reply #5 on: July 06, 2012, 06:06:30 PM »
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Bahut hi umda peshkash..
vaah vaah.
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roy
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«Reply #6 on: July 06, 2012, 07:35:31 PM »
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KHOOOBSOORAT !!
BEHAD KHOOBSOORAT  SIR !
BOHOT ACHA LAGA PADH K Clapping Smiley Clapping Smiley
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ahujagd
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«Reply #7 on: July 06, 2012, 07:43:22 PM »
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bahut khoob
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livingbytheday
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«Reply #8 on: July 08, 2012, 03:37:14 AM »
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bahut khoob likha hain aapne
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