एक औरत की व्यथा

by Ram Krishan Rastogi on October 14, 2014, 06:47:51 AM
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Ram Krishan Rastogi
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तुम्ही हम सफर हो मेरी जिन्दगी के,मेरी मंजिल तक पंहुचा देना
मेरा हाथ पकड़ लेना तुम कही बीच मंजिल में हाथ न छुड़ा लेना

कोई न सहारा देता है मुझे,कोई नही जमाने में अब हमदर्द मेरा
कितने है बेदर्द जमाने के लोग,जिन्हीने लूट लिया सब कुछ मेरा

आते है सब चुपचाप यहा,अपनी शाम रंगीन बनाने की लिए
अपना घर छोड़ आते है ,पर कोई तैयार नही लेजाने के लिए

मैफिल यहाँ सजी हुई है,लोग नये नये नोट यहाँ बरसाते है
देर रात तक बिताते यहाँ,अपनी घरवाली को वहा तरसाते है

घुट घुट कर मर रही हूँ मै ,मर मर कर जी रही हूँ मै यहाँ
मै लाज कभी थी किसी घर की,अब शमा बन चुकी हूँ यहाँ  

जमाना अब बदल रहा है,मै भी अब कुछ बदल रही हूँ
पहले मै कोठे में रहती थी,अब मै कोठी में रह रही हूँ,

कैसे है मर्द इस जमाने के,औरत ने ही मर्दों को जन्म दिया
जब जी चाहा इससे खिलवाड़ किया,जब जी चाहा बाज़ार दिया

मै लाज थी किसी घर की,मेरी भी इज्जत थी कोई मेरी
इन बेशर्म दुनिया के लोगो ने,सरे आम इज्जत लूटली मेरी

औरत की इस दुर्दशा को देख,रस्तोगी इनकी जिन्दगी बदलना चाहता है
दोजख से निकाल कर इनको ,जन्नत में अब उनको बसाना चाहता है
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #1 on: October 14, 2014, 07:23:45 AM »
तुम्ही हम सफर हो मेरी जिन्दगी के,मेरी मंजिल तक पंहुचा देना
मेरा हाथ पकड़ लेना तुम कही बीच मंजिल में हाथ न छुड़ा लेना

कोई न सहारा देता है मुझे,कोई नही जमाने में अब हमदर्द मेरा
कितने है बेदर्द जमाने के लोग,जिन्हीने लूट लिया सब कुछ मेरा

आते है सब चुपचाप यहा,अपनी शाम रंगीन बनाने की लिए
अपना घर छोड़ आते है ,पर कोई तैयार नही लेजाने के लिए

मैफिल यहाँ सजी हुई है,लोग नये नये नोट यहाँ बरसाते है
देर रात तक बिताते यहाँ,अपनी घरवाली को वहा तरसाते है

घुट घुट कर मर रही हूँ मै ,मर मर कर जी रही हूँ मै यहाँ
मै लाज कभी थी किसी घर की,अब शमा बन चुकी हूँ यहाँ 
Bahut khoob.
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sksaini4
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«Reply #2 on: October 14, 2014, 02:11:35 PM »
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SURESH SANGWAN
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«Reply #3 on: October 14, 2014, 05:23:39 PM »
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bahut khoooooooooooooob
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surindarn
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«Reply #4 on: October 14, 2014, 09:53:07 PM »
bahut khoobsurat peshkash hai,dheron daad.
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Ram Krishan Rastogi
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«Reply #5 on: October 15, 2014, 01:22:39 AM »
श्री सुरिन्दर्ण साहिब व अन्य सभी शायरों का शुक्रया
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jeet jainam
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«Reply #6 on: October 16, 2014, 03:16:11 AM »
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BOHUT KHUBBBBBBBBB  WAAAAAAAAAAHHHHHH
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