और कितना लिखूं... " ऋषि "

by Rishi Agarwal on December 22, 2013, 02:17:13 AM
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Rishi Agarwal
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जिन्दगी की हकीकत लिखूं या लिखूं उलझते हर ख्वाब,
परियों की कहानी लिखूं या लिखूं मोहब्बत के अल्फाज..

बचपन की शैतानियाँ लिखूं या लिखूं दर्द से भरे आगाज,
फूलों की खुशबु लिखूं या लिखूं तन्हाई से भरी मेरी याद..

संग बिताये लम्हें लिखूं या लिखूं कैसे गुजरती तन्हा रात,
उसके चेहरे की हंसी लिखूं या लिखूं दर्दो से भरी दास्तान..

पतझड़ में बहार लिखूं या लिखूं आँखों से छलकते जाम,
उसकी बलखाती अदा लिखूं या लिखूं मेरे बलखाते हालात..

मेरे मदहोशी के आलम लिखूं या लिखूं लड़खड़ाते अंदाज,
उसकी खूबसूरती लिखूं या लिखूं रंग बदलते उसके मिजाज..

मेरी वफाओ की दास्ताँ लिखूं या लिखूं टूटे दिल के फरमान,
" ऋषि " और कितना लिखूं या लिखूं संग जीने के अरमान..


दिनांक :- २१ दिसम्बर २०१३
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RAJAN KONDAL
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«Reply #1 on: December 22, 2013, 03:26:08 AM »
जिन्दगी की हकीकत लिखूं या लिखूं उलझते हर ख्वाब,
परियों की कहानी लिखूं या लिखूं मोहब्बत के अल्फाज..

बचपन की शैतानियाँ लिखूं या लिखूं दर्द से भरे आगाज,
फूलों की खुशबु लिखूं या लिखूं तन्हाई से भरी मेरी याद..

संग बिताये लम्हें लिखूं या लिखूं कैसे गुजरती तन्हा रात,
उसके चेहरे की हंसी लिखूं या लिखूं दर्दो से भरी दास्तान..

पतझड़ में बहार लिखूं या लिखूं आँखों से छलकते जाम,
उसकी बलखाती अदा लिखूं या लिखूं मेरे बलखाते हालात..

मेरे मदहोशी के आलम लिखूं या लिखूं लड़खड़ाते अंदाज,
उसकी खूबसूरती लिखूं या लिखूं रंग बदलते उसके मिजाज..

मेरी वफाओ की दास्ताँ लिखूं या लिखूं टूटे दिल के फरमान,
" ऋषि " और कितना लिखूं या लिखूं संग जीने के अरमान..


दिनांक :- २१ दिसम्बर २०१३
Kay baat hai rishi ji bhut khub  ApplauseApplause Applause ApplauseApplause Applause ApplauseApplause Applause Applause
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jeet jainam
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«Reply #2 on: December 22, 2013, 03:49:53 AM »
जिन्दगी की हकीकत लिखूं या लिखूं उलझते हर ख्वाब,
परियों की कहानी लिखूं या लिखूं मोहब्बत के अल्फाज..

बचपन की शैतानियाँ लिखूं या लिखूं दर्द से भरे आगाज,
फूलों की खुशबु लिखूं या लिखूं तन्हाई से भरी मेरी याद..

संग बिताये लम्हें लिखूं या लिखूं कैसे गुजरती तन्हा रात,
उसके चेहरे की हंसी लिखूं या लिखूं दर्दो से भरी दास्तान..

पतझड़ में बहार लिखूं या लिखूं आँखों से छलकते जाम,
उसकी बलखाती अदा लिखूं या लिखूं मेरे बलखाते हालात..

मेरे मदहोशी के आलम लिखूं या लिखूं लड़खड़ाते अंदाज,
उसकी खूबसूरती लिखूं या लिखूं रंग बदलते उसके मिजाज..

मेरी वफाओ की दास्ताँ लिखूं या लिखूं टूटे दिल के फरमान,
" ऋषि " और कितना लिखूं या लिखूं संग जीने के अरमान..



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wah wah wah wah har alfaaz apni adaa bakhubi dikha rahe hai
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samir_bc
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«Reply #3 on: December 22, 2013, 11:22:20 AM »
Bahot khoob rishi ji..
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«Reply #4 on: December 22, 2013, 01:24:33 PM »
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SURESH SANGWAN
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«Reply #5 on: December 22, 2013, 02:28:18 PM »
   

जिन्दगी की हकीकत लिखूं या लिखूं उलझते हर ख्वाब,
परियों की कहानी लिखूं या लिखूं मोहब्बत के अल्फाज..

बचपन की शैतानियाँ लिखूं या लिखूं दर्द से भरे आगाज,
फूलों की खुशबु लिखूं या लिखूं तन्हाई से भरी मेरी याद..

संग बिताये लम्हें लिखूं या लिखूं कैसे गुजरती तन्हा रात,
उसके चेहरे की हंसी लिखूं या लिखूं दर्दो से भरी दास्तान..

पतझड़ में बहार लिखूं या लिखूं आँखों से छलकते जाम,
उसकी बलखाती अदा लिखूं या लिखूं मेरे बलखाते हालात..

मेरे मदहोशी के आलम लिखूं या लिखूं लड़खड़ाते अंदाज,
उसकी खूबसूरती लिखूं या लिखूं रंग बदलते उसके मिजाज..

मेरी वफाओ की दास्ताँ लिखूं या लिखूं टूटे दिल के फरमान,
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sksaini4
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«Reply #6 on: December 23, 2013, 12:27:43 PM »
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Mohammad Touhid
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«Reply #7 on: December 23, 2013, 01:49:01 PM »
bahut bahut khoob rishi ji.. Usual Smile

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nandbahu
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«Reply #8 on: December 24, 2013, 03:14:09 PM »
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