mistufer
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औरत की क्या हस्ती है चीज़ वोः कितनी सस्ती है
कहीं वोः दिल की रानी है कहीं बस एक कहानी है
कितनी बेबस दिखती है जब बाज़ार में बिकती है
कहीं वोः दुर्गा माता है इस संसार की दाता है
कहीं वोः घर की दासी है नादिया हो कर प्यासी है
सब के ताने सहती है फिर भी वोः चुप रहती है
सरस्वती का अवतार है वोः शिक्षा का भंडार है वोः
किस्मत उसपे हंसती है जब शिक्षा को तरसती है
क्या क्या ज़ुल्म वोः सहती है फिर भी हंसती रहती है
कहीं सजा यह पाती है गर्ब में मारी जाती है
कहीं वोः माता काली है कहीं वोः एक सवाली है
खाली हाथों आने पर दान-दहेज़ ना लाने पर
ज़ुल्म यह धाया जाता है उसको जलाया जाता है
नीर नयन से बरसे है वोः मुस्कान को तरसे है
खुशियों को तरस्ती है औरत की क्या हस्ती है
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thegrimreaper
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«Reply #2 on: August 28, 2009, 04:12:21 PM » |
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nira ji, bahut accha likha hai aise hi likhiye its a sattire on the face of maleshovinist society
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brokenbyluv
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«Reply #3 on: August 28, 2009, 04:17:57 PM » |
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smardia
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«Reply #5 on: August 28, 2009, 07:46:36 PM » |
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Niraji bdhaai bada sunder chitran nari shakti aur lachari ka do no pehlu bkhoobi ubhar kar aaye hai...Shabdo ka sunder prayog...Devnagri lipi man ko moh le rahi hai.... I just remember the lines " Abla nari teri yahi kahani
Anchal mei dudh or ankho mei pani !" by Jayshankar PrashadSecond one "Aurat ne janam diya mardoko
mardo ne Bazar diya usko!"औरत की क्या हस्ती है चीज़ वोः कितनी सस्ती है
कहीं वोः दिल की रानी है कहीं बस एक कहानी है
कितनी बेबस दिखती है जब बाज़ार में बिकती है
कहीं वोः दुर्गा माता है इस संसार की दाता है
कहीं वोः घर की दासी है नादिया हो कर प्यासी है
सब के ताने सहती है फिर भी वोः चुप रहती है
सरस्वती का अवतार है वोः शिक्षा का भंडार है वोः
किस्मत उसपे हंसती है जब शिक्षा को तरसती है
क्या क्या ज़ुल्म वोः सहती है फिर भी हंसती रहती है
कहीं सजा यह पाती है गर्ब में मारी जाती है
कहीं वोः माता काली है कहीं वोः एक सवाली है
खाली हाथों आने पर दान-दहेज़ ना लाने पर
ज़ुल्म यह धाया जाता है उसको जलाया जाता है
नीर नयन से बरसे है वोः मुस्कान को तरसे है
खुशियों को तरस्ती है औरत की क्या हस्ती है
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mistufer
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«Reply #6 on: August 29, 2009, 02:34:22 AM » |
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Waah... Waaaaaaaaaaaaaaaah nira ji Zabardast!
Behad dotok andaaz main or safai ke saath aap ne sansaar ke khokhle dawon ka parda faash kiya hai... aaj tak aysi baaten bohot se shayaron ne likhi hai, magar is ka jaadu sar-chadh kar bolta hai... Sayyid Randeri aapke itne strong wards se sahara hai meri is rachna ko bahut abhari hoon, dilse shukriya adaa karti hoon. nira
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mistufer
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«Reply #7 on: August 29, 2009, 02:36:05 AM » |
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nira ji, bahut accha likha hai aise hi likhiye its a sattire on the face of maleshovinist society thegrimreaper ji aapke sneh aor saharna ka bahut bahut shukriya
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mistufer
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«Reply #8 on: August 29, 2009, 02:39:42 AM » |
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brokenbyluv ji aapki hausla afzaayi ka bahut bahut shukriya
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mistufer
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«Reply #9 on: August 29, 2009, 02:41:48 AM » |
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mistufer
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«Reply #10 on: August 29, 2009, 02:45:34 AM » |
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\ smardia ji aapki saharna ki dilse shukrguzaar hoon muje bhi yeh songs yaad hain khas kar aurat ne janam diya mardon ko mardon ne usse bazaar diya take care nira
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deepika_divya
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«Reply #11 on: August 29, 2009, 03:48:19 AM » |
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Waah Nira di... Mindblowing creation... Aurat ke Upar aapki iss Rachna wakai bahoot Bahoot Umda hai.. Bahoot Khoob!
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DhavalRami
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«Reply #12 on: August 29, 2009, 04:00:53 AM » |
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Nira didi:
jSk..!
kaise hai.n aap?
baRe dinoN baad aaj aapki koShiSh paRhne kaa mauqaa milaa.. aapki har rachanaa haMeShaa aik naye roop meiN hotii hai.. baRii hi gehrA'ii se aap har baat keh jaate hai.n! aapne beHteriN koShiSh peSh kii hay bazm meN.. liKhate raheN.. KhuSh raheN.. apnaa Khayaal raKheN
duaaoN ke saath ijaazat
aapka
~ Dhaval
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thegrimreaper
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«Reply #14 on: August 29, 2009, 07:09:55 AM » |
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thanx for sharing smardia ji:thumbsup:
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