"कन्या भ्रूण हत्या----एक दर्द -एक अफ़सोस "

by kavyadharateam on August 17, 2014, 02:29:45 PM
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kavyadharateam
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"कन्या भ्रूण हत्या----एक दर्द -एक अफ़सोस "



ज़मीं के सीने से झाँकता ये कफ़न किसका है
 कफ़न में लिपटा ये मासूम बदन किसका है
कफ़न नया नहीं पुरानी धोती का टुकड़ा है
 और इस टुकड़े में लिपटा प्यारा सा मुखड़ा है
 बड़ी बेदर्दी से दफनाया गया मिटटी में इसे
 पाँव पेट से लगे हैं , सिर छाती में सिकुड़ा है

 मिटटी तक गीली है ले देख मिटटी की हालत
 खाक तक पूरी न मयस्सर हुई कब्र को इसकी
 और ऊपर से रख दिए फिर पत्थर तमाम
 ताकि जान न पायें निगाहें कब्र है किसकी

 प्यारी - प्यारी सी हथेली, मखमली - मखमली नाख़ून
 कच्चे गुलाब से होंठ और निबोरी - सी निगाहें
 गुलाब जिस्म, परी से पाँव, दिल फरेब मुस्कान
 जिसको देखकर खुद - ब - खुद उठ जाए बाहें

 एक परी ने कहीं शक्ल एक बच्ची की लेकर
 किसी ले सुने चमन में खिलना चाहा था
 उसने सोचा चलो जी लूँ इंसान की तरह
 माँ की छाती से चिपककर पलना चाहा था

 उसे मालुम न था की पहले किलकारी ही उसकी
 चीख बनकर रह जाएगी गले की भीतर
 निगाहें देख भी ना पाएंगी दुनिया नज़र पहली
 और दुनिया ही सिमट जायेगी नज़र के भीतर

 क़त्ल कर देंगे माँ - बाप इस खातिर क्योंकि
 उसकी आवाज़ से आई है शहनाई की सदा
 उनकी उम्मीदें थीं डोलियाँ ओथाने की कहीं
 न की दहलीज़ से हो उनके कोई लड़की विदा

 झूटी शान की खातिर, पुरानी रस्मों के कारण
 नन्हीं - नन्हीं बेटियों की काट देते हैं बोटियाँ
 ताकि सिर झुके न कहीं गैर पाँव के आगे
 बेटी देती नहीं मोक्ष, वंश और रोटियां

 और बड़ी कमतर सी बात ये जो माँ अपना
 लहू पिलाती है सुबह - शाम महीनो तक
 जिसकी धड़कन के संग धड़कती एक धड़कन
 जिसकी साँसों से लेती कोई सांस महीनो तक

 जब वाही अहसास एक शक्ल बच्ची की लेकर
 कोख से आता है तो माएं क्यों आंसू बहाती हैं
 क्यों निगाहें फेर लेती पत्थर - दिल बनकर
 जब दाइयां इन मासूमों का गला दबाती हैं

 क्यों रातों की स्याही और दिल के उजाले में
 लोग रौशिनी को अँधेरे कमरों की बुझा देते हैं
 दबा कर नर्म गला, हिस्से कर मासूम बदन
 घर की चौखट पर एक दिया जला देते हैं

 याद रखो ! कि आसमान कि बिसात है तब तक
 जब तलक पाँव ज़मीन पे है और जहाँ तक
 जहाँ पर धरती ख़त्म, आसमान वहीँ ख़त्म
 इन झूटी ख्वाहिशों कि फकत दुनिया है वहां तक

 सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा

http://www.Thank you!/
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amit_prakash_meet
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«Reply #1 on: August 19, 2014, 04:21:51 AM »
बहुत ही हृदय विदारक चित्रण किया है.....

इसके लिये आपको ह्रदय से धन्यवाद.....

अगर एक भी भ्रूण हत्या इससे रुक जाये तो आपकी यह रचना सार्थक हो जायेगी....
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mann.mann
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«Reply #2 on: August 19, 2014, 09:45:18 AM »
deepakji.... aankhe bhar aayin....  tearyeyed tearyeyed :tearyeyed:ji main aata hai ek baar ro lia jaye....

bahut khub bayaaan kiya aapne......  icon_salut icon_salut
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nandbahu
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«Reply #3 on: August 19, 2014, 10:20:14 AM »
bahut dard bhari dastan bayan kee hai, kash ye samaj samajh pata
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