छुटा साथ अगर तेरा... ऋषि अग्रवाल

by Rishi Agarwal on January 30, 2013, 08:10:37 PM
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Rishi Agarwal
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तुझे अपना बनायु, तुझ संग सारे सपने सजाऊ,
छूटे साथ अगर तेरा, तेरी बाहों में दम तोड़ जाऊ..

आँखों में बसा कर तुझे, तुम्हारे दिल में उतर जाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, तो में अब किसे अपना बनाऊ..

तुझे सीने से लगा, तुझे हर ख़ुशी दू, तुझे हमेशा हसाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, अपनी हस्ती को वही उजाड़ जाऊ..

तुझे अपना कहू या पराया कहू, या फिर किसी वहम में खो जाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, तेरी हर ख़ुशी में अपनी ज़िन्दगी लुटाऊ..

तुझसे मिलु में इस कदर, में अपने हर गम भूल जाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, तेरी आखो में मेरे चहरे की छाप छोड़ जाऊ..

तेरे साथ अब यूँ ही चलता जाऊं, हर जनम तुझे ही अपना बनाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, फ़ना कर खुद को तुझे हर ख़ुशी अपनी दे जाऊ..
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MANOJ6568
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«Reply #1 on: January 31, 2013, 02:30:41 AM »
तुझे अपना बनायु, तुझ संग सारे सपने सजाऊ,
छूटे साथ अगर तेरा, तेरी बाहों में दम तोड़ जाऊ..

आँखों में बसा कर तुझे, तुम्हारे दिल में उतर जाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, तो में अब किसे अपना बनाऊ..

तुझे सीने से लगा, तुझे हर ख़ुशी दू, तुझे हमेशा हसाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, अपनी हस्ती को वही उजाड़ जाऊ..

तुझे अपना कहू या पराया कहू, या फिर किसी वहम में खो जाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, तेरी हर ख़ुशी में अपनी ज़िन्दगी लुटाऊ..

तुझसे मिलु में इस कदर, में अपने हर गम भूल जाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, तेरी आखो में मेरे चहरे की छाप छोड़ जाऊ..

तेरे साथ अब यूँ ही चलता जाऊं, हर जनम तुझे ही अपना बनाऊ,
छुटा साथ अगर तेरा, फ़ना कर खुद को तुझे हर ख़ुशी अपनी दे जाऊ..
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RAJAN KONDAL
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«Reply #2 on: January 31, 2013, 02:32:28 AM »
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prashad
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«Reply #3 on: January 31, 2013, 02:51:08 AM »
bahut khoob
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nandbahu
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«Reply #4 on: January 31, 2013, 04:08:10 AM »
wah wah
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amit_prakash_meet
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«Reply #5 on: January 31, 2013, 07:11:28 AM »
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suman59
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«Reply #6 on: January 31, 2013, 07:15:53 AM »
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aqsh
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«Reply #7 on: January 31, 2013, 11:56:38 AM »
bahut khoob Rishi jee
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Rishi Agarwal
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«Reply #8 on: December 18, 2014, 05:38:13 PM »
रचना में कुछ बदलाव कर वापस संवारा गया हैं इसलिए इस रचना को इस तरह पढ़ा जाएँ अब ..

तुझे अपना बनायुं, तुझ संग सारे सपने सजाऊँ,
छूटा साथ गर तेरा, तेरी बाहों में दम तोड़ जाऊँ..

आँखों में बसा कर तुझे, तेरे दिल में उतर जाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, तेरे कदमों में फ़ना हो जाऊँ..

अश्कों को तेरी अंखियों से चुरा, हमेशा तुझे हंसाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, हस्ती मेरी यहीं पे उजाड़ जाऊँ..

अपना कहूँ या पराया, या किसी वहम में खों जाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, सिंदूर बन तेरी मांग में संवर जाऊँ..

तुझसे मिलु इस कदर, मैं अपने हर गम भूल जाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, साँसों में तेरे मेरी याद छोड़ जाऊँ..

साथ चलूँ तेरे संग जब, जन्म - जन्म का रिश्ता निभाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, खुशियों तेरे लियें हजार छोड़ जाऊँ..



रचना को सुधार करने की दिनांक १८ दिसम्बर २०१४ हैं
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surindarn
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«Reply #9 on: December 19, 2014, 12:06:07 AM »
रचना में कुछ बदलाव कर वापस संवारा गया हैं इसलिए इस रचना को इस तरह पढ़ा जाएँ अब ..

तुझे अपना बनायुं, तुझ संग सारे सपने सजाऊँ,
छूटा साथ गर तेरा, तेरी बाहों में दम तोड़ जाऊँ..

आँखों में बसा कर तुझे, तेरे दिल में उतर जाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, तेरे कदमों में फ़ना हो जाऊँ..

अश्कों को तेरी अंखियों से चुरा, हमेशा तुझे हंसाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, हस्ती मेरी यहीं पे उजाड़ जाऊँ..

अपना कहूँ या पराया, या किसी वहम में खों जाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, सिंदूर बन तेरी मांग में संवर जाऊँ..

तुझसे मिलु इस कदर, मैं अपने हर गम भूल जाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, साँसों में तेरे मेरी याद छोड़ जाऊँ..

साथ चलूँ तेरे संग जब, जन्म - जन्म का रिश्ता निभाऊँ,
छुटा साथ गर तेरा, खुशियों तेरे लियें हजार छोड़ जाऊँ..



रचना को सुधार करने की दिनांक १८ दिसम्बर २०१४ हैं
Kyaa baat hai, dheron daad. icon_flower icon_flower icon_flower
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