जरुरत है ही क्या

by Bishwajeet Anand Bsu on March 04, 2013, 01:34:06 PM
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Bishwajeet Anand Bsu
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जरुरत है ही क्या दिवार -ऐ-दरारों को सरेआम करने की,
की हर कोने में साजिश है तुझे बदनाम करने की,
अभी अपना जिन्हें  कह लो वो बैठे हैं फिराको में,
चलेंगे चाल मौके पे तुझे गुमनाम करने की ।

बहुत रोया था मैं भी किसी को याद कर कर के रातों में,
ये रंजिश थी मुझे बाज़ार में नीलाम करने की,
वो कहते है मिलो मुझसे बस दिन के उजालो में,
मेरी बस थी तमन्ना साथ में एक शाम करने की।

सोच कर उल्फत की बातें मेरे काफ़िर रहे जिंदा ,
ख्वाइश मौत से पहले है अपनी हर पल नाम करने की,
ये दुनिया मैंने भी कल परसों ही छोड़ी है,
की फुर्सत अब मिली है मुझे आराम करने की ।

जरुरत है ही क्या अब वक़्त को बर्बाद करने की,
शुरू करते है कब्र में रियाजें एहतराम करने की,
बहुत करते थे शिकायत वो मुझसे मिलने पर,
याद आएगी हुनर अपनी वो हर एक काम  करने की ।

जरुरत है ही क्या दिवार -ऐ-दरारों को सरेआम करने की,
की हर कोने में साजिश है तुझे बदनाम करने की |
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #1 on: March 04, 2013, 01:47:08 PM »
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khujli
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«Reply #2 on: March 04, 2013, 02:17:26 PM »
जरुरत है ही क्या दिवार -ऐ-दरारों को सरेआम करने की,
की हर कोने में साजिश है तुझे बदनाम करने की,
अभी अपना जिन्हें  कह लो वो बैठे हैं फिराको में,
चलेंगे चाल मौके पे तुझे गुमनाम करने की ।

बहुत रोया था मैं भी किसी को याद कर कर के रातों में,
ये रंजिश थी मुझे बाज़ार में नीलाम करने की,
वो कहते है मिलो मुझसे बस दिन के उजालो में,
मेरी बस थी तमन्ना साथ में एक शाम करने की।

सोच कर उल्फत की बातें मेरे काफ़िर रहे जिंदा ,
ख्वाइश मौत से पहले है अपनी हर पल नाम करने की,
ये दुनिया मैंने भी कल परसों ही छोड़ी है,
की फुर्सत अब मिली है मुझे आराम करने की । one rau is due

जरुरत है ही क्या अब वक़्त को बर्बाद करने की,
शुरू करते है कब्र में रियाजें एहतराम करने की,
बहुत करते थे शिकायत वो मुझसे मिलने पर,
याद आएगी हुनर अपनी वो हर एक काम  करने की ।

जरुरत है ही क्या दिवार -ऐ-दरारों को सरेआम करने की,
की हर कोने में साजिश है तुझे बदनाम करने की |

rau is due .2morrow


 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley

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amit_prakash_meet
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«Reply #3 on: March 04, 2013, 02:33:19 PM »
बहुत खूब, बिश्वजीत जी, बहुत खूब
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piyushappy
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«Reply #4 on: March 04, 2013, 03:59:54 PM »
wah wah
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adil bechain
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«Reply #5 on: March 04, 2013, 06:41:15 PM »
जरुरत है ही क्या दिवार -ऐ-दरारों को सरेआम करने की,
की हर कोने में साजिश है तुझे बदनाम करने की,
अभी अपना जिन्हें  कह लो वो बैठे हैं फिराको में,
चलेंगे चाल मौके पे तुझे गुमनाम करने की ।

बहुत रोया था मैं भी किसी को याद कर कर के रातों में,
ये रंजिश थी मुझे बाज़ार में नीलाम करने की,
वो कहते है मिलो मुझसे बस दिन के उजालो में,
मेरी बस थी तमन्ना साथ में एक शाम करने की।

सोच कर उल्फत की बातें मेरे काफ़िर रहे जिंदा ,
ख्वाइश मौत से पहले है अपनी हर पल नाम करने की,
ये दुनिया मैंने भी कल परसों ही छोड़ी है,
की फुर्सत अब मिली है मुझे आराम करने की ।

जरुरत है ही क्या अब वक़्त को बर्बाद करने की,
शुरू करते है कब्र में रियाजें एहतराम करने की,
बहुत करते थे शिकायत वो मुझसे मिलने पर,
याद आएगी हुनर अपनी वो हर एक काम  करने की ।

जरुरत है ही क्या दिवार -ऐ-दरारों को सरेआम करने की,
की हर कोने में साजिश है तुझे बदनाम करने की |

waaaaaaaaaaaah Applause Applause Applause
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aqsh
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«Reply #6 on: March 04, 2013, 08:25:01 PM »
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Bahut bahut khoob. Dheron daad.
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~Hriday~
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #7 on: March 05, 2013, 04:33:24 AM »
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bahut khoob, bahut sundar rachna...!!!
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nandbahu
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«Reply #8 on: March 05, 2013, 09:19:37 AM »
bahut khoob
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suman59
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«Reply #9 on: March 05, 2013, 11:21:34 AM »
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Wah ati sundar
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saahill
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«Reply #10 on: March 05, 2013, 11:23:48 AM »
bohut khub likha hai aapne waaah
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