जुर्म हमसे इतना बड़ा, हरगिज़ नहीं होता...!!

by rsd4u on December 05, 2011, 07:38:56 AM
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rsd4u
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जुर्म हमसे इतना बड़ा, हरगिज़ नहीं होता,
दिल अपने को पहले ही अगर समझा लिया होता!
गौर पहले ही किया होता, जब ये रोग अदना-सा था,
तो दिल में ज़ख्म भी इतना गहरा नहीं होता !
देखना पड़ता नहीं कभी भी ये मंजर तबाही का,
पैगाम आँखों का अगर दिल ने ठुकरा दिया होता!
उसकी बेरुखी के शोलों में जल जाते कभी के हम,
साथ दोस्तों के दोस्ती का अगर साया नहीं होता!
धोखा लोगों ने अगर अपनों से खाया नहीं होता!! crybaby2
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adil bechain
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«Reply #1 on: December 05, 2011, 08:41:52 AM »
जुर्म हमसे इतना बड़ा, हरगिज़ नहीं होता,
दिल अपने को पहले ही अगर समझा लिया होता!
गौर पहले ही किया होता, जब ये रोग अदना-सा था,
तो दिल में ज़ख्म भी इतना गहरा नहीं होता !
देखना पड़ता नहीं कभी भी ये मंजर तबाही का,
पैगाम आँखों का अगर दिल ने ठुकरा दिया होता!
उसकी बेरुखी के शोलों में जल जाते कभी के हम,
साथ दोस्तों के दोस्ती का अगर साया नहीं होता!
धोखा लोगों ने अगर अपनों से खाया नहीं होता!! crybaby2


bahut khoob Applause Applause Applause Applause Applause
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sajid reza
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«Reply #2 on: December 05, 2011, 11:07:45 AM »
 :happy3:kya feelings pesh ki hai aapne kushobaad rahiye likhte rahiye.
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sarfira
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«Reply #3 on: December 05, 2011, 05:21:25 PM »
जुर्म हमसे इतना बड़ा, हरगिज़ नहीं होता,
दिल अपने को पहले ही अगर समझा लिया होता!
गौर पहले ही किया होता, जब ये रोग अदना-सा था,
तो दिल में ज़ख्म भी इतना गहरा नहीं होता !
देखना पड़ता नहीं कभी भी ये मंजर तबाही का,
पैगाम आँखों का अगर दिल ने ठुकरा दिया होता!
उसकी बेरुखी के शोलों में जल जाते कभी के हम,
साथ दोस्तों के दोस्ती का अगर साया नहीं होता!
धोखा लोगों ने अगर अपनों से खाया नहीं होता!! crybaby2
bht ache janaab
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