बस कुछ वक़्त

by ritika senrit on September 22, 2016, 10:08:44 AM
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ritika senrit
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बहुत कोशिश की लेकिन
कुछ नहीं लिख पाई सिवाय इसके
कि अब इस रेत में कुछ न मिटने वाले निशान
तेरे मेरे भी छप जाएंगे

हम भले यहाँ रहें न रहें
लेकिन कभी कहीं बैठकर इस समंदर की धुन गुनगुनाएंगे
कुछ बात करेंगे लहरों की, कुछ उस चाँद की भी
जो आज ख़ुद को अकेला मान रहा है

कुछ उन आवाज़ों की जो
दूर समंदर के बीच रोशनी से पहले उठ रही हैं
कुछ डरा रही हैं
और कुछ आदम की बनावटी आवाज़ों से डर रही हैं

बस कुछ वक़्त और
फिर एक हसीन सफ़र ख़त्म होगा
वक़्त के हाथ में हमारा वक़्त होगा
वो चलाएगा और हमें चलना होगा

लेकिन फिर किसी शाम हम वक़्त से अपना वक़्त माँग लेंगे
फिर इस समंदर की यही धुन गुनगुना कर अपनी शाम गुज़ार लेंगे
जहाँ छपे हैं, अपनी बेपरवाह खुशियों के निशान
जो रेत से कभी नहीं मिटेंगे
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surindarn
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«Reply #1 on: September 22, 2016, 10:53:32 PM »
waah waah waah bahut umdah waah.
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adil bechain
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«Reply #2 on: September 24, 2016, 08:04:50 AM »
बहुत कोशिश की लेकिन
कुछ नहीं लिख पाई सिवाय इसके
कि अब इस रेत में कुछ न मिटने वाले निशान
तेरे मेरे भी छप जाएंगे

हम भले यहाँ रहें न रहें
लेकिन कभी कहीं बैठकर इस समंदर की धुन गुनगुनाएंगे
कुछ बात करेंगे लहरों की, कुछ उस चाँद की भी
जो आज ख़ुद को अकेला मान रहा है

कुछ उन आवाज़ों की जो
दूर समंदर के बीच रोशनी से पहले उठ रही हैं
कुछ डरा रही हैं
और कुछ आदम की बनावटी आवाज़ों से डर रही हैं

बस कुछ वक़्त और
फिर एक हसीन सफ़र ख़त्म होगा
वक़्त के हाथ में हमारा वक़्त होगा
वो चलाएगा और हमें चलना होगा

लेकिन फिर किसी शाम हम वक़्त से अपना वक़्त माँग लेंगे
फिर इस समंदर की यही धुन गुनगुना कर अपनी शाम गुज़ार लेंगे
जहाँ छपे हैं, अपनी बेपरवाह खुशियों के निशान
जो रेत से कभी नहीं मिटेंगे










waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah Applause Applause Applause Applause Applause
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Rustum Rangila
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«Reply #3 on: September 25, 2016, 05:53:08 AM »
Bahot khoob, bahot achey waaaaaah waah  Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
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