मुझ संग बीता सब हिसाब रखता हूँ

by harashmahajan on August 01, 2015, 08:44:11 AM
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harashmahajan
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महफ़िल को मेरा आदाब ....एक अरसे बाद इस महफ़िल में आना हुआ ....पासवार्ड ही इधर उधर हो गया था...सच कहूँ तो मस्रूफ़िअत ही इतनी है की फर्म्स पर आना ही कम हुआ जाता है....उम्मीद है अगली किताब जल्द आपके सामने होगी
एक बात जो यहाँ बताना चाहूँगा.....एक मुद्दत बाद यहाँ आया हूँ आते ही अपनी ग़ज़ल किसी के द्वारा यहाँ देखी बड़ा अफ़सोस हुआ ..... अफ़सोस इस बात का नहीं की वो कलाम उस शख्स ने पोस्ट किया ...अफ़सोस इस बात का हुआ उसमें उस शख्स ने तब्दीली भी की ...और गुमनाम ...नाम दर्ज किया ...अपना नाम तो नहीं दिया...न जाने क्यूँ नाम हटा कर क्या बताना चाहते हैं ...



उनकी रचनाओं में सभी गुमनाम नाम से ही दी हैं ......हमारी बहुत सी रचनाएं है....
उनमें से एक रचना आपके लिए पेश है एक लिंक के साथ .....उम्मीद है आप मेरे कलाम पहचान ही लेंगे |


..

मुझ संग बीता सब हिसाब रखता हूँ
जुबां से चुप दिल में किताब रखता हूँ ।

इक-इक लम्हा आँखों में दर्ज है यूँ ,
अपने इशारों में सब जवाब रखता हूँ ।

किस तरह मिटाएगा कोई शैतां मुझको,
रूहानियत का इतना सबाब रखता हूँ ।

हिकारत से न देखे कोई मुझे इस तरह
अपनी शक्सिअत का ऐसा रुआब रखता हूँ ।

खुदा की रहे नैमत मुझ पर ऐ 'हर्ष'
सो अपनी सोच को नायाब रखता हूँ ।

____________हर्ष महाजन ।


http://harashmahajan.blogspot.in/2012/07/blog-post_8001.html

Yo India se muaafi chahuNga mazboori meiN ye link dena padaa !
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adil bechain
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«Reply #1 on: August 01, 2015, 12:40:04 PM »
महफ़िल को मेरा आदाब ....एक अरसे बाद इस महफ़िल में आना हुआ ....पासवार्ड ही इधर उधर हो गया था...सच कहूँ तो मस्रूफ़िअत ही इतनी है की फर्म्स पर आना ही कम हुआ जाता है....उम्मीद है अगली किताब जल्द आपके सामने होगी
एक बात जो यहाँ बताना चाहूँगा.....एक मुद्दत बाद यहाँ आया हूँ आते ही अपनी ग़ज़ल किसी के द्वारा यहाँ देखी बड़ा अफ़सोस हुआ ..... अफ़सोस इस बात का नहीं की वो कलाम उस शख्स ने पोस्ट किया ...अफ़सोस इस बात का हुआ उसमें उस शख्स ने तब्दीली भी की ...और गुमनाम ...नाम दर्ज किया ...अपना नाम तो नहीं दिया...न जाने क्यूँ नाम हटा कर क्या बताना चाहते हैं ...



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उनमें से एक रचना आपके लिए पेश है एक लिंक के साथ .....उम्मीद है आप मेरे कलाम पहचान ही लेंगे |


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मुझ संग बीता सब हिसाब रखता हूँ
जुबां से चुप दिल में किताब रखता हूँ ।

इक-इक लम्हा आँखों में दर्ज है यूँ ,
अपने इशारों में सब जवाब रखता हूँ ।

किस तरह मिटाएगा कोई शैतां मुझको,
रूहानियत का इतना सबाब रखता हूँ ।

हिकारत से न देखे कोई मुझे इस तरह
अपनी शक्सिअत का ऐसा रुआब रखता हूँ ।

खुदा की रहे नैमत मुझ पर ऐ 'हर्ष'
सो अपनी सोच को नायाब रखता हूँ ।

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bahot khoob Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause


                        gar chaaho to neend se pooch lo....,
                        main mukhtalif khawaab rakhtaa hoon....,
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«Reply #2 on: August 01, 2015, 12:46:26 PM »
Shri Harsh ji ,waah waah ati sunder 
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SURESH SANGWAN
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«Reply #3 on: August 01, 2015, 01:20:51 PM »
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«Reply #4 on: August 01, 2015, 08:09:39 PM »
bahut khoob Mahajan Sahib, dheron dheron daad waah.
 toothy4 toothy4 toothy4 toothy4 toothy4 toothy4 toothy4 toothy4
 Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
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«Reply #5 on: August 02, 2015, 04:20:03 AM »
bohat khubbbb waaahhhhhh
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amit_prakash_meet
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«Reply #6 on: August 03, 2015, 05:41:57 AM »
वाह.....बहुत खूब....

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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #7 on: August 03, 2015, 01:59:15 PM »
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