मैं खुद से ही हार गया हूँ

by anandmohan on April 14, 2023, 10:02:22 AM
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anandmohan
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खेल बनाकर इस जीवन का

मैं खुद से ही हार गया हूँ.



आह ह्रदय का कह ना पाया,

पर पीड़ा मैं सह ना पाया,

मैं रख कर मुस्कान अधर पर

अश्कों को स्वीकार गया हूँ.

खेल बनाकर इस जीवन का

मैं खुद से ही हार गया हूँ.



जब-जब बोझिल होती सांसें,

ज़ख्म दिया करते आवाजें

तब-तब सब सहने के क्रम में

मैं खुद को ही मार गया हूँ.

खेल बनाकर इस जीवन का

मैं खुद से ही हार गया हूँ.



गिर कर कोई संभल जातें हैं,

मुझ से गिरे ना चल पाते हैं.

फिर भी उस पर शीश झुकाने

जाने क्यों हर बार गया हूँ.

खेल बनाकर इस जीवन का

मैं खुद से ही हार गया हूँ.


                 -   आनंद मोहन.
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