चैन से सोना न कभी होगा नसीब

by RAJ SOLANKI on August 23, 2014, 09:07:38 AM
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RAJ SOLANKI
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शाम का वक्त है शाखोँ को हिलाता क्योँ है
तू थके मांदे परिँदोँ को उङाता क्योँ है

वक्त को कौन भला रोक सका है पगले
सुईयां घङियोँ की तू पीछे घुमाता क्योँ है

दर्द कैसा है पसीने का, ये मजदूर से पुछ
छांव मेँ बैठ के अंदाजा लगाता क्योँ है

मुझको सीने से लगाने मेँ है तौहिन अगर
दोस्ती के लिए हाथ फिर बढाता क्योँ है

त्याग तपस्या पूजा सब प्यार के है रुप
इनमेँ अंतर का कोई सवाल उठाता क्योँ है

मुस्कुराना है मेरे होठोँ की फितरत मेँ शुमार
इसका मतलब सुख दुख से लगाता क्योँ है

देखिए चैन से सोना न कभी होगा नसीब
ख्वाब की तू कोई तस्वीर बनाता क्योँ है
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NakulG
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«Reply #1 on: August 23, 2014, 09:18:28 AM »
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beautiful!!

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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: August 23, 2014, 09:22:19 AM »
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शाम का वक्त है शाखोँ को हिलाता क्योँ है
तू थके मांदे परिँदोँ को उङाता क्योँ है

वक्त को कौन भला रोक सका है पगले
सुईयां घङियोँ की तू पीछे घुमाता क्योँ है

दर्द कैसा है पसीने का, ये मजदूर से पुछ
छांव मेँ बैठ के अंदाजा लगाता क्योँ है

मुझको सीने से लगाने मेँ है तौहिन अगर
दोस्ती के लिए हाथ फिर बढाता क्योँ है

त्याग तपस्या पूजा सब प्यार के है रुप
इनमेँ अंतर का कोई सवाल उठाता क्योँ है

मुस्कुराना है मेरे होठोँ की फितरत मेँ शुमार
इसका मतलब सुख दुख से लगाता क्योँ है

देखिए चैन से सोना न कभी होगा नसीब
ख्वाब की तू कोई तस्वीर बनाता क्योँ है
Bahut khoob.
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खुश रहो खुश रहने दो l

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«Reply #3 on: August 23, 2014, 11:44:25 AM »
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शाम का वक्त है शाखोँ को हिलाता क्योँ है
तू थके मांदे परिँदोँ को उङाता क्योँ है

वक्त को कौन भला रोक सका है पगले
सुईयां घङियोँ की तू पीछे घुमाता क्योँ है

दर्द कैसा है पसीने का, ये मजदूर से पुछ
छांव मेँ बैठ के अंदाजा लगाता क्योँ है

मुझको सीने से लगाने मेँ है तौहिन अगर
दोस्ती के लिए हाथ फिर बढाता क्योँ है

त्याग तपस्या पूजा सब प्यार के है रुप
इनमेँ अंतर का कोई सवाल उठाता क्योँ है

मुस्कुराना है मेरे होठोँ की फितरत मेँ शुमार
इसका मतलब सुख दुख से लगाता क्योँ है

देखिए चैन से सोना न कभी होगा नसीब
ख्वाब की तू कोई तस्वीर बनाता क्योँ है

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Wah Kya khubsurat Rachna Pesh ki hai Raj Solanki ji aapne. Bahut Pasand aayee. Mere pass tareef ke liye shabd nahin hain. Ek RAU ke saath daad Qabool Karein.
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amit_prakash_meet
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«Reply #4 on: August 23, 2014, 12:44:01 PM »
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बहुत ही खूब.....

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sksaini4
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«Reply #5 on: August 23, 2014, 01:20:18 PM »
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waah waah waah bahut khoob
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surindarn
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«Reply #6 on: August 23, 2014, 08:12:17 PM »
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nihaayat khoobsurat.
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Syed Mohd Mahzar
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«Reply #7 on: August 24, 2014, 09:34:52 AM »
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RAJ SOLANKI SAHEB

Bahut umda kalaam kaha hai aapne, waaaaaaaaaaah , Meri daad qubool farmayein........................................ .
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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