aawaz

by kavyanjali on January 05, 2013, 08:38:34 AM
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kavyanjali
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"आवाज़"

हाँ मैं एक लड़की हूँ ।
अपने परिवार और अपने समाज के अनुसार चलने की कोशिश मैं करती हूँ ।
पर कभी कभी ये मन इतनी ऊँची उड़ान भरने की कोशिश करने लगता है कि,
खुद से ही मैं डरने लगती हूँ ।।

मैं दिमाग से ज्यादा दिल से काम करती हूँ ।
कर ले गर प्यार से दो बातें कोई तो मन ही मन उस पर मरती हूँ ।
अगर मन मुताबिक कर लूँ बात कोई तो मुझ पर ही लांछन लगाया जाता है,
और गर मन भी गलत हो जाये तो उसका परिणाम भी स्वयं को ही भुगतना पड़ता है ।।

माना प्रकृति ने कुछ अलग बनाया हमें,
हर परिस्थिति को सहना सिखाया हमें,
इसीलिए तो हम लड़कियों के मन की खाई गहराती गयीं और,
हमारे मन की आशायें उस खाई में परत दर परत समाती गयीं ।।

दो पल खुशियों का भी हम पर क्यों भारी पड जाता है।
गर भांप ले कोई इस मन की बातें तो हमारा पूरा फायदा उठाता है ।
इसीलिए तो हमें बहुत दूर की सोंचना सिखाया जाता है,
और हमारे मन की भावुकता को बंधन तले दबाया जाता है ।।

गलतियाँ हर किसी से होती है ।
पर हमारी एक गलती भी हमारे लिए नासूर बन जाती है ।
और रह रह कर हर किसी की बातें,
नमक की तरह हमें तडपाती है ।।

बचपन से लेकर जवानी तक एक बेटी एक बहन के रूप में,
हमें मर्यादाओं में चलना सिखाया जाता है।
और शादी के बाद पत्नी के रूप में,
हर कष्ट सहना सिखाया जाता है ।।

हाँ देखा है मैंने पिताजी की हर सही गलत बातों पर माँ का हमेशा दबना,
उनकी ऊँची आवाज तले एक बंद कमरे में माँ का हमेशा सिसकना
और तो और परीक्षा यहीं पर ख़त्म नहीं होती,बेटा भी आँख दिखने लगता है,
गर कर दे माँ एक गलती भी छोटी ।।
दुनियाँ की नज़रें हैं खराब
इसीलिए हमें परदे में रहना सिखाया जाता है,
अगर हम अपने अनुसार चलना चाहें तो
मर्यादाहीन कह हमें बंधनों मे दबाया जाता है।।

हमें प्यार करने पर भी क्यों जताना सिखाया नहीं जाता ?
क्यों एक हमारी छोटी सी ज़िद पर हमें है हाथ से निकलना बताया जाता ?
गर हो हम अकेले तो हर पल हमें लड़ना पड़ता है,
हर पल सबकी नज़रों टेल घुंट घुंट के मरना पड़ता है ।।
आदमी करे किसी लड़की से धोखा
तो उसे आदमी की शान और लड़की की गलती बताया जाता है
लड़की करे किसी लड़के से धोखा तो
सीधे ही उसे चरित्रहीन ठहराया जाता है ।।

जीवन की एक चिंता भी
आदमी को बेचैन कर देती है
इतनी सारी चिंतायें है मेरे जीवन में,
फिर मेरे सदा हँसने की उम्मीद तुम्हे क्यों रहती है।।

नहीं चाहती कोई मुझे समझे
पर मेरी बातें कभी तो सुन लो ।
गर कभी लगूँ सही तो तुम भी
मेरे अनुसार तो चल लो ।।

खुशियाँ नहीं दे सकती तुम तो दुःख तो ना पहुँचाओ ।
झूठा अपनत्व दिखाकर मुझको अपने मनोरंजन मात्र न बनाओ ।
पहले ही आग में जल रहीं हूँ मैं,
इस आग को अब और न सुलगाओ, इस आग को अब और न सुलगाओ।।

                                                 "मन "
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #1 on: January 05, 2013, 08:51:08 AM »
Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you!

I am speechless..... bahut sundar, bahut bahut khoob... jitni taarif ki jaaye is rachnaa ki kam hogi.. aapne sach ko bahut khoobsurti se shabdon me piroyaa hai... ek ek shabd chilla chilla ke sach bol raha hai... kitna dard hai aapke is lekhni me.. sach ... aatma tak ko rulaa diyaa... chhoo gayi aapki ye rachnaa hamaare dil ko gehraayiyon tak...

ye kadwaa sach, ye dard.. jaane kab aur kis din kam ho paayegaa... hameshaa se yahi hotaa aayaa hai ki naari ko dabaayaa jaa raha hai.. wo khul ke has nahi sakti, bol nahi sakti... aur har gunaah ke liye unhi ko ek nahi to dusre tarike se gunehgaar thehraayaa jaataa hai...

aapki is rachna ne us sach ko fir ek baar saamne laa khadaa kiyaa... bahut achcha likhaa hai aapne Mann ji.... aate rahiye, likhte rahiye... aur humein aapke anmol rachnaaon ko padhne kaa maukaa dete rahiye... !!!

take care
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«Reply #2 on: January 05, 2013, 08:51:29 AM »
waah waah bahut sunder
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adil bechain
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«Reply #3 on: January 05, 2013, 09:01:19 AM »

"आवाज़"

हाँ मैं एक लड़की हूँ ।
अपने परिवार और अपने समाज के अनुसार चलने की कोशिश मैं करती हूँ ।
पर कभी कभी ये मन इतनी ऊँची उड़ान भरने की कोशिश करने लगता है कि,
खुद से ही मैं डरने लगती हूँ ।।

मैं दिमाग से ज्यादा दिल से काम करती हूँ ।
कर ले गर प्यार से दो बातें कोई तो मन ही मन उस पर मरती हूँ ।
अगर मन मुताबिक कर लूँ बात कोई तो मुझ पर ही लांछन लगाया जाता है,
और गर मन भी गलत हो जाये तो उसका परिणाम भी स्वयं को ही भुगतना पड़ता है ।।

माना प्रकृति ने कुछ अलग बनाया हमें,
हर परिस्थिति को सहना सिखाया हमें,
इसीलिए तो हम लड़कियों के मन की खाई गहराती गयीं और,
हमारे मन की आशायें उस खाई में परत दर परत समाती गयीं ।।

दो पल खुशियों का भी हम पर क्यों भारी पड जाता है।
गर भांप ले कोई इस मन की बातें तो हमारा पूरा फायदा उठाता है ।
इसीलिए तो हमें बहुत दूर की सोंचना सिखाया जाता है,
और हमारे मन की भावुकता को बंधन तले दबाया जाता है ।।

गलतियाँ हर किसी से होती है ।
पर हमारी एक गलती भी हमारे लिए नासूर बन जाती है ।
और रह रह कर हर किसी की बातें,
नमक की तरह हमें तडपाती है ।।

बचपन से लेकर जवानी तक एक बेटी एक बहन के रूप में,
हमें मर्यादाओं में चलना सिखाया जाता है।
और शादी के बाद पत्नी के रूप में,
हर कष्ट सहना सिखाया जाता है ।।

हाँ देखा है मैंने पिताजी की हर सही गलत बातों पर माँ का हमेशा दबना,
उनकी ऊँची आवाज तले एक बंद कमरे में माँ का हमेशा सिसकना
और तो और परीक्षा यहीं पर ख़त्म नहीं होती,बेटा भी आँख दिखने लगता है,
गर कर दे माँ एक गलती भी छोटी ।।
दुनियाँ की नज़रें हैं खराब
इसीलिए हमें परदे में रहना सिखाया जाता है,
अगर हम अपने अनुसार चलना चाहें तो
मर्यादाहीन कह हमें बंधनों मे दबाया जाता है।।

हमें प्यार करने पर भी क्यों जताना सिखाया नहीं जाता ?
क्यों एक हमारी छोटी सी ज़िद पर हमें है हाथ से निकलना बताया जाता ?
गर हो हम अकेले तो हर पल हमें लड़ना पड़ता है,
हर पल सबकी नज़रों टेल घुंट घुंट के मरना पड़ता है ।।
आदमी करे किसी लड़की से धोखा
तो उसे आदमी की शान और लड़की की गलती बताया जाता है
लड़की करे किसी लड़के से धोखा तो
सीधे ही उसे चरित्रहीन ठहराया जाता है ।।

जीवन की एक चिंता भी
आदमी को बेचैन कर देती है
इतनी सारी चिंतायें है मेरे जीवन में,
फिर मेरे सदा हँसने की उम्मीद तुम्हे क्यों रहती है।।

नहीं चाहती कोई मुझे समझे
पर मेरी बातें कभी तो सुन लो ।
गर कभी लगूँ सही तो तुम भी
मेरे अनुसार तो चल लो ।।

खुशियाँ नहीं दे सकती तुम तो दुःख तो ना पहुँचाओ ।
झूठा अपनत्व दिखाकर मुझको अपने मनोरंजन मात्र न बनाओ ।
पहले ही आग में जल रहीं हूँ मैं,
इस आग को अब और न सुलगाओ, इस आग को अब और न सुलगाओ।।

                                                 "मन "


waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa ah Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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aqsh
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«Reply #4 on: January 05, 2013, 10:21:45 AM »
 Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you!  Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
excellent
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saahill
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«Reply #5 on: January 05, 2013, 10:39:25 AM »
bohut bohut bohut khub kavyanjali bohut umda
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nishi gahlaut
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«Reply #6 on: January 05, 2013, 11:24:00 AM »
superb....jitni bhi bola jaye apke liye Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Hats off to you! Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause kam hai...
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sbechain
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«Reply #7 on: January 05, 2013, 12:02:25 PM »

"आवाज़"

हाँ मैं एक लड़की हूँ ।
अपने परिवार और अपने समाज के अनुसार चलने की कोशिश मैं करती हूँ ।
पर कभी कभी ये मन इतनी ऊँची उड़ान भरने की कोशिश करने लगता है कि,
खुद से ही मैं डरने लगती हूँ ।।

मैं दिमाग से ज्यादा दिल से काम करती हूँ ।
कर ले गर प्यार से दो बातें कोई तो मन ही मन उस पर मरती हूँ ।
अगर मन मुताबिक कर लूँ बात कोई तो मुझ पर ही लांछन लगाया जाता है,
और गर मन भी गलत हो जाये तो उसका परिणाम भी स्वयं को ही भुगतना पड़ता है ।।

माना प्रकृति ने कुछ अलग बनाया हमें,
हर परिस्थिति को सहना सिखाया हमें,
इसीलिए तो हम लड़कियों के मन की खाई गहराती गयीं और,
हमारे मन की आशायें उस खाई में परत दर परत समाती गयीं ।।

दो पल खुशियों का भी हम पर क्यों भारी पड जाता है।
गर भांप ले कोई इस मन की बातें तो हमारा पूरा फायदा उठाता है ।
इसीलिए तो हमें बहुत दूर की सोंचना सिखाया जाता है,
और हमारे मन की भावुकता को बंधन तले दबाया जाता है ।।

गलतियाँ हर किसी से होती है ।
पर हमारी एक गलती भी हमारे लिए नासूर बन जाती है ।
और रह रह कर हर किसी की बातें,
नमक की तरह हमें तडपाती है ।।

बचपन से लेकर जवानी तक एक बेटी एक बहन के रूप में,
हमें मर्यादाओं में चलना सिखाया जाता है।
और शादी के बाद पत्नी के रूप में,
हर कष्ट सहना सिखाया जाता है ।।

हाँ देखा है मैंने पिताजी की हर सही गलत बातों पर माँ का हमेशा दबना,
उनकी ऊँची आवाज तले एक बंद कमरे में माँ का हमेशा सिसकना
और तो और परीक्षा यहीं पर ख़त्म नहीं होती,बेटा भी आँख दिखने लगता है,
गर कर दे माँ एक गलती भी छोटी ।।
दुनियाँ की नज़रें हैं खराब
इसीलिए हमें परदे में रहना सिखाया जाता है,
अगर हम अपने अनुसार चलना चाहें तो
मर्यादाहीन कह हमें बंधनों मे दबाया जाता है।।

हमें प्यार करने पर भी क्यों जताना सिखाया नहीं जाता ?
क्यों एक हमारी छोटी सी ज़िद पर हमें है हाथ से निकलना बताया जाता ?
गर हो हम अकेले तो हर पल हमें लड़ना पड़ता है,
हर पल सबकी नज़रों टेल घुंट घुंट के मरना पड़ता है ।।
आदमी करे किसी लड़की से धोखा
तो उसे आदमी की शान और लड़की की गलती बताया जाता है
लड़की करे किसी लड़के से धोखा तो
सीधे ही उसे चरित्रहीन ठहराया जाता है ।।

जीवन की एक चिंता भी
आदमी को बेचैन कर देती है
इतनी सारी चिंतायें है मेरे जीवन में,
फिर मेरे सदा हँसने की उम्मीद तुम्हे क्यों रहती है।।

नहीं चाहती कोई मुझे समझे
पर मेरी बातें कभी तो सुन लो ।
गर कभी लगूँ सही तो तुम भी
मेरे अनुसार तो चल लो ।।

खुशियाँ नहीं दे सकती तुम तो दुःख तो ना पहुँचाओ ।
झूठा अपनत्व दिखाकर मुझको अपने मनोरंजन मात्र न बनाओ ।
पहले ही आग में जल रहीं हूँ मैं,
इस आग को अब और न सुलगाओ, इस आग को अब और न सुलगाओ।।

                                                 "मन "


wah wah kya likha hai . ladki ki soach aur jazbaat main ek rau deti hoon ji...............!
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #8 on: January 05, 2013, 01:17:37 PM »
just    beautiful   !!!!!
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suman59
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«Reply #9 on: January 06, 2013, 04:15:16 AM »
dard bara aapka aawaz padkar dil bar aaya. bahut acha bayan kiya hai aapne. bahut bahut khoob
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kavyanjali
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«Reply #10 on: January 06, 2013, 08:54:53 AM »
Dhanyawaad.aap sabhi ko.This is my first post in yoindia shayariabad.This is not just a poem but my true feelings of being a girl.So I am introducing myself as a girl of independent India.
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