क्या हूं अभिशाप कोई.....?

by Minakshi vats on February 26, 2014, 05:13:36 PM
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Minakshi vats
Aghaaz ae Shayar
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आज उसी घर मे माह्तम का पसारा था,
हां वही घर जहां....
जहां चंद दिन पहले इक नए मेहमान को आना था,
थी नजरो मे सबके उम्मीदे
और खुशियों का ना ठिकाना था,
हां वही घर
आज मह्तम का पसारा था,

थी नम नम सी निगाहे सब की ,
मानो मौत हुई अरमनो की,
जाने क्या हसरत थी इनकी
क्या उम्मीदे थी इन दीवानो की
थी देख रेख नौ महीनो तक अब उस पर
तानो का ना ठीकाना था,
हसरते चांद की थी जिनकी,
हां उसी घर अब चांदनी का उजाला था,

खो गई थी खुशियां सबकी
बस गम की लहरे छाई थी,
जाने क्या दुख और क्या तकलीफे
वो नन्सी जां घर में लाई थी,
थी पिता के चेहरे पर खुशी जहॉ
वहीं अब गमगीन बडा नजारा था,
फूल की हसरत थी जिसको
वो आंगन कली ने महकाया था,
हां वही घर....

गुनेहगार वो सबकी,
बडी मासूमियत से मुस्काने लगी,
बाहे फैला कर बडी चंचलता से,
सबका ही मन बहलाने लगी
शायद हो सवाल ये जहन में उसके,
क्यो इतना गमगीन नजारा हैं?
क्या हूं मैं अभिशाप कोई जो मह्तम
इतना पसारा है.. Huh??  
 
मिनाक्षी वत्स "निशा"
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Akash Basudev
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«Reply #1 on: February 26, 2014, 05:41:14 PM »
Wow Very Well Crafted Created Nisha ji...bahut hi acchi...
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mkv
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«Reply #2 on: February 26, 2014, 08:29:03 PM »
Beautiful..

you are posting your all creations in Dosti/ Friendship head. just select the appropriate head and post.
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jeet jainam
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«Reply #3 on: February 26, 2014, 09:49:31 PM »
आज उसी घर मे माह्तम का पसारा था,
हां वही घर जहां....
जहां चंद दिन पहले इक नए मेहमान को आना था,
थी नजरो मे सबके उम्मीदे
और खुशियों का ना ठिकाना था,
हां वही घर
आज मह्तम का पसारा था,

थी नम नम सी निगाहे सब की ,
मानो मौत हुई अरमनो की,
जाने क्या हसरत थी इनकी
क्या उम्मीदे थी इन दीवानो की
थी देख रेख नौ महीनो तक अब उस पर
तानो का ना ठीकाना था,
हसरते चांद की थी जिनकी,
हां उसी घर अब चांदनी का उजाला था,

खो गई थी खुशियां सबकी
बस गम की लहरे छाई थी,
जाने क्या दुख और क्या तकलीफे
वो नन्सी जां घर में लाई थी,
थी पिता के चेहरे पर खुशी जहॉ
वहीं अब गमगीन बडा नजारा था,
फूल की हसरत थी जिसको
वो आंगन कली ने महकाया था,
हां वही घर....

गुनेहगार वो सबकी,
बडी मासूमियत से मुस्काने लगी,
बाहे फैला कर बडी चंचलता से,
सबका ही मन बहलाने लगी
शायद हो सवाल ये जहन में उसके,
क्यो इतना गमगीन नजारा हैं?
क्या हूं मैं अभिशाप कोई जो मह्तम
इतना पसारा है.. Huh?? 
 
मिनाक्षी वत्स "निशा"


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wah wah wah cho chweet line keep writing
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ekta3
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«Reply #4 on: February 27, 2014, 12:37:21 AM »
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«Reply #5 on: February 27, 2014, 03:40:46 AM »

आज उसी घर मे माह्तम का पसारा था,
हां वही घर जहां....
जहां चंद दिन पहले इक नए मेहमान को आना था,
थी नजरो मे सबके उम्मीदे
और खुशियों का ना ठिकाना था,
हां वही घर
आज मह्तम का पसारा था,

थी नम नम सी निगाहे सब की ,
मानो मौत हुई अरमनो की,
जाने क्या हसरत थी इनकी
क्या उम्मीदे थी इन दीवानो की
थी देख रेख नौ महीनो तक अब उस पर
तानो का ना ठीकाना था,
हसरते चांद की थी जिनकी,
हां उसी घर अब चांदनी का उजाला था,

खो गई थी खुशियां सबकी
बस गम की लहरे छाई थी,
जाने क्या दुख और क्या तकलीफे
वो नन्सी जां घर में लाई थी,
थी पिता के चेहरे पर खुशी जहॉ
वहीं अब गमगीन बडा नजारा था,
फूल की हसरत थी जिसको
वो आंगन कली ने महकाया था,
हां वही घर....

गुनेहगार वो सबकी,
बडी मासूमियत से मुस्काने लगी,
बाहे फैला कर बडी चंचलता से,
सबका ही मन बहलाने लगी
शायद हो सवाल ये जहन में उसके,
क्यो इतना गमगीन नजारा हैं?
क्या हूं मैं अभिशाप कोई जो मह्तम
इतना पसारा है.. Huh?
 
मिनाक्षी वत्स "निशा"
खूब सूरत पेशकश है..............
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Minakshi vats
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«Reply #6 on: February 27, 2014, 05:07:45 PM »
आभार happy9
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«Reply #7 on: March 12, 2014, 05:26:25 PM »
बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने पीड़ा  को ..मीनाक्षी जी .!

बहुत खूब


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