क्या हूं अभिशाप कोई.....?

by Minakshi vats on February 26, 2014, 05:13:36 PM
Pages: [1]
Print
Author  (Read 536 times)
Minakshi vats
Aghaaz ae Shayar
*

Rau: 3
Offline Offline

Waqt Bitaya:
14 hours and 3 minutes.
Posts: 45
Member Since: Feb 2014


View Profile

आज उसी घर मे माह्तम का पसारा था,
हां वही घर जहां....
जहां चंद दिन पहले इक नए मेहमान को आना था,
थी नजरो मे सबके उम्मीदे
और खुशियों का ना ठिकाना था,
हां वही घर
आज मह्तम का पसारा था,

थी नम नम सी निगाहे सब की ,
मानो मौत हुई अरमनो की,
जाने क्या हसरत थी इनकी
क्या उम्मीदे थी इन दीवानो की
थी देख रेख नौ महीनो तक अब उस पर
तानो का ना ठीकाना था,
हसरते चांद की थी जिनकी,
हां उसी घर अब चांदनी का उजाला था,

खो गई थी खुशियां सबकी
बस गम की लहरे छाई थी,
जाने क्या दुख और क्या तकलीफे
वो नन्सी जां घर में लाई थी,
थी पिता के चेहरे पर खुशी जहॉ
वहीं अब गमगीन बडा नजारा था,
फूल की हसरत थी जिसको
वो आंगन कली ने महकाया था,
हां वही घर....

गुनेहगार वो सबकी,
बडी मासूमियत से मुस्काने लगी,
बाहे फैला कर बडी चंचलता से,
सबका ही मन बहलाने लगी
शायद हो सवाल ये जहन में उसके,
क्यो इतना गमगीन नजारा हैं?
क्या हूं मैं अभिशाप कोई जो मह्तम
इतना पसारा है.. Huh??  
 
मिनाक्षी वत्स "निशा"
Logged
Akash Basudev
Shayari Qadrdaan
***

Rau: 8
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
1 days, 14 hours and 21 minutes.

Posts: 353
Member Since: Jan 2014


View Profile
«Reply #1 on: February 26, 2014, 05:41:14 PM »
Wow Very Well Crafted Created Nisha ji...bahut hi acchi...
Logged
mkv
Guest
«Reply #2 on: February 26, 2014, 08:29:03 PM »
Beautiful..

you are posting your all creations in Dosti/ Friendship head. just select the appropriate head and post.
Logged
jeet jainam
Khaas Shayar
**

Rau: 237
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
60 days, 12 hours and 13 minutes.

my rule no type no life and ,i m happy single

Posts: 10150
Member Since: Dec 2012


View Profile WWW
«Reply #3 on: February 26, 2014, 09:49:31 PM »
आज उसी घर मे माह्तम का पसारा था,
हां वही घर जहां....
जहां चंद दिन पहले इक नए मेहमान को आना था,
थी नजरो मे सबके उम्मीदे
और खुशियों का ना ठिकाना था,
हां वही घर
आज मह्तम का पसारा था,

थी नम नम सी निगाहे सब की ,
मानो मौत हुई अरमनो की,
जाने क्या हसरत थी इनकी
क्या उम्मीदे थी इन दीवानो की
थी देख रेख नौ महीनो तक अब उस पर
तानो का ना ठीकाना था,
हसरते चांद की थी जिनकी,
हां उसी घर अब चांदनी का उजाला था,

खो गई थी खुशियां सबकी
बस गम की लहरे छाई थी,
जाने क्या दुख और क्या तकलीफे
वो नन्सी जां घर में लाई थी,
थी पिता के चेहरे पर खुशी जहॉ
वहीं अब गमगीन बडा नजारा था,
फूल की हसरत थी जिसको
वो आंगन कली ने महकाया था,
हां वही घर....

गुनेहगार वो सबकी,
बडी मासूमियत से मुस्काने लगी,
बाहे फैला कर बडी चंचलता से,
सबका ही मन बहलाने लगी
शायद हो सवाल ये जहन में उसके,
क्यो इतना गमगीन नजारा हैं?
क्या हूं मैं अभिशाप कोई जो मह्तम
इतना पसारा है.. Huh?? 
 
मिनाक्षी वत्स "निशा"


 Applause Applause Applause Applause Applause Applause

wah wah wah cho chweet line keep writing
Logged
ekta3
Shayari Qadrdaan
***

Rau: 4
Offline Offline

Waqt Bitaya:
1 days, 2 hours and 13 minutes.
Posts: 169
Member Since: Dec 2013


View Profile
«Reply #4 on: February 27, 2014, 12:37:21 AM »
 Applause Applause Applause
Logged
Advo.RavinderaRavi
Guest
«Reply #5 on: February 27, 2014, 03:40:46 AM »

आज उसी घर मे माह्तम का पसारा था,
हां वही घर जहां....
जहां चंद दिन पहले इक नए मेहमान को आना था,
थी नजरो मे सबके उम्मीदे
और खुशियों का ना ठिकाना था,
हां वही घर
आज मह्तम का पसारा था,

थी नम नम सी निगाहे सब की ,
मानो मौत हुई अरमनो की,
जाने क्या हसरत थी इनकी
क्या उम्मीदे थी इन दीवानो की
थी देख रेख नौ महीनो तक अब उस पर
तानो का ना ठीकाना था,
हसरते चांद की थी जिनकी,
हां उसी घर अब चांदनी का उजाला था,

खो गई थी खुशियां सबकी
बस गम की लहरे छाई थी,
जाने क्या दुख और क्या तकलीफे
वो नन्सी जां घर में लाई थी,
थी पिता के चेहरे पर खुशी जहॉ
वहीं अब गमगीन बडा नजारा था,
फूल की हसरत थी जिसको
वो आंगन कली ने महकाया था,
हां वही घर....

गुनेहगार वो सबकी,
बडी मासूमियत से मुस्काने लगी,
बाहे फैला कर बडी चंचलता से,
सबका ही मन बहलाने लगी
शायद हो सवाल ये जहन में उसके,
क्यो इतना गमगीन नजारा हैं?
क्या हूं मैं अभिशाप कोई जो मह्तम
इतना पसारा है.. Huh?
 
मिनाक्षी वत्स "निशा"
खूब सूरत पेशकश है..............
Logged
Minakshi vats
Aghaaz ae Shayar
*

Rau: 3
Offline Offline

Waqt Bitaya:
14 hours and 3 minutes.
Posts: 45
Member Since: Feb 2014


View Profile
«Reply #6 on: February 27, 2014, 05:07:45 PM »
आभार happy9
Logged
Armaan.Armaan
Shayarana Mizaaj
**

Rau: 0
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
13 hours and 2 minutes.
Posts: 131
Member Since: Feb 2014


View Profile
«Reply #7 on: March 12, 2014, 05:26:25 PM »
बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने पीड़ा  को ..मीनाक्षी जी .!

बहुत खूब


अरमान --
Logged
Pages: [1]
Print
Jump to:  


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 08:13:33 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.093 seconds with 24 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer