देखा है।...

by journalist sandeep on September 03, 2015, 04:47:25 PM
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journalist sandeep
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बड़ी ही गहरी बात लिख दी है

  किसी शक्शियत नें ...

  .

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में ,

उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।...

  .

सजाया गया था चमचमाते झालर से मस्जिद और चमकते चादर से दरगाह को,

बाहर एक फ़कीर को भूख और ठंड से तड़प के मरते देखा है ।।

.

लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ,

पर बहार एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।

.

वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हाल के लिए ,

घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।

.

सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को,

आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।

.

जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन ,

आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।

.

जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी , आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ।

.

दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है ।

.

मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारो ,

जिसे खुदको काल सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।

.

जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों ,

आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।

.

बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,

अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।

.

  *************************

  .

आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,

अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।

.

  ************************

  .

गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है

उन्होंने देख लिया कि, इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।

.

  ************************

  .

कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर,

क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान देखा है । बड़ी ही गहरी बात लिख दी है किसी शक्शियत नें ... .बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में ,उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।... .सजाया गया था चमचमाते झालर से मस्जिद और चमकते चादर से दरगाह को,बाहर एक फ़कीर को भूख और ठंड से तड़प के मरते देखा है ।।.लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ,पर बहार एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।.वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हाल के लिए ,घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।.सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को,आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।.जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन ,आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।.जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी , आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ।.दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है ।.मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारो ,जिसे खुदको काल सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।.जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों ,आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।.बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।. ************************* .आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।. ************************ .गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि, इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।. ************************ .कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर,क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान देखा है ।

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SURESH SANGWAN
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«Reply #1 on: September 03, 2015, 05:24:03 PM »
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«Reply #2 on: September 03, 2015, 07:41:20 PM »
waah waah waah bahut umdah, thank you for sharing. Applause Applause Applause Applause Applause Applause
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«Reply #3 on: September 04, 2015, 05:48:51 AM »
श्री संदीप जी, बहुत ही सुंदर रचना है | एक राऊ के साथ ढेर सारी शुभकामनाये स्वीकार करे -राम कृष्ण रस्तोगी
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